![](https://www.newstrend.news/wp-content/uploads/2023/05/rating-agency-fitch-recently-issued-a-warning-for-the-us-26.05.23-1-780x421.jpg)
जर्मनी में आई मंदी, अमेरिका के डिफाल्टर होने का खतरा लेकिन दुनिया की उम्मीद से भारत से
रेटिंग एजेंसी फिच ने हाल ही में एक चेतावनी जारी की है, जिसके अनुसार अमेरिका के लिए एक खतरा खड़ा हो गया है। फिच ने अपने बयान में कहा है कि अगर संसदीय सदस्यों ने कर्ज की सीमा को बढ़ाने के लिए सहमति नहीं दी तो उसे अमेरिका की रेटिंग में कटौती की जा सकती है। इससे अमेरिका के डिफ़ॉल्ट का खतरा उभर आया है और इससे चीन और जापान की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं तबाही की आग में आ गई हैं। चीन और जापान दोनों ही विदेशी निवेशकों में सर्वाधिक मात्रा में शामिल हैं और वे अमेरिका के कर्ज के लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर का हिस्सा हैं।
अमेरिका के सरकारी कर्ज में चीन ने साल 2000 में निवेश करना शुरू किया था। उस समय अमेरिका ने चीन को विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने का समर्थन किया था, जिससे उनकी निर्यात में भारी वृद्धि हुई थी। चीन को इससे बड़ी मात्रा में डॉलर मिले और वह इन धनों को अमेरिका के सरकारी कर्ज में निवेश कर दिया। अमेरिका के ट्रेजरी बांड को धरती पर सबसे सुरक्षित निवेश के रूप में माना जाता है। वह समय था जब चीन का अमेरिकी ट्रेजरी बांड में निवेश 1.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया था।
पिछले एक दशक से ज्यादातर समय तक, चीन ने अमेरिका के लिए सबसे बड़ा विदेशी कर्जदाता का दर्जा प्राप्त किया था। हालांकि, ट्रंप के कार्यकाल के दौरान तनाव बढ़ने के बाद, चीन ने अपने आपको अमेरिका से दूर करने का निर्णय लिया था और उसकी जगह पर जापान ने ले ली थी। अब दोनों देशों को अमेरिका के डिफ़ॉल्ट के खतरे से चिंता हो रही है। इस संकट के समय में, दुनिया की चौथी और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, यानी जर्मनी और फ्रांस, भी इस तनाव में फंस गई हैं।
इसके विपरीत, भारतीय अर्थव्यवस्था विश्वभर में एक उज्ज्वल किरण के रूप में चमक रही है। भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी का खतरा शून्य है और विश्व बाजारों में उम्मीद की किरण बन गई है। चीन की तुलना में, भारत के अमेरिका के कर्ज में निवेश का हिस्सा कम है।
चीन के मंदी में जाने का खतरा वर्तमान में 12.5 प्रतिशत तक है, जो उनके विदेशी निवेशकों को काफी प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही, चीन और जापान दोनों को अमेरिका के कर्ज के बंधन से मुक्ति पाने की चिंता रहती है।
अमेरिका के कर्ज में वृद्धि करने की योजना चीन और जापान के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अमेरिका की सबसे बड़ी विदेशी कर्जदाता हैं। उनकी यह चेतावनी दरअसल उन्हें सशंकित करने का मकसद रखती है कि अमेरिका अपने कर्ज सम्बंधी नीतियों में परिवर्तन करेगा और अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारेगा। यदि यह नहीं होता है, तो अमेरिका की रेटिंग में कटौती होने का खतरा रहेगा, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था को अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
इस चिंता की वार्ता के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में मजबूत है और यह स्थिति विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक शुभ संकेत हो सकती है। भारत ने आर्थिक सुधारों की योजना और सुबिधाओं के निर्माण के माध्यम से विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है और वह एक सक्रिय और विकासशील बाजार है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने विश्व बाजारों में स्थिरता और विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया है