कुछ इस तरह सहेज लें अपने अनमोल रिश्तें, बिखरने से बचाइए अपने घर परिवार को
जिंदगी की भाग दौड़ और पैसे की जरूरत ने रिश्तों की आवश्यकता को बोझ बना दिया है। नौकरी, सोसाइटी, पत्नी और बच्चों की जरूरत में इंसान इतना उलझ गया है, कि जिन रिश्तों को हम बचपन में जीते आए हैं। आज उनके लिए न तो समय है, और न ही किसी के बारे में सोचने का समय। इसका असर सीधा हमारे उन करीबी रिश्तों में पड़ रहा है। जो हमारे अपने है, आज भाई भाई में विवाद है, मां-बाप की बातें पुरानी हो गई है। हालात ये हैं कि एक ही घर में रहने वाले लोग हफ्तों आपस में दिल खोलकर बातें तक नहीं करते। न ही एक दूसरे का हालचाल लेते हैं। मरती संवेदनशीलता को रोकने के लिए और परिवार को बचाने की आज हम आपको वो तरकीब बता रहे हैं जिससे आप परिवार के साथ जिन्दगी के बेहतरीन पल भी बिता सकेंगे।
यदि परिवार में आपसी तालमेल की कमी है तो सभी सदस्य अधिक समय एक साथ सुखी नहीं रह सकते हैं। परिवार में एकता बनाए रखने के लिए इन तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए
मुखिया या बड़ों को चाहिए कि वे परिस्थितियों को बिगड़ने से रोकें
बड़े परिवारों या जिन घरों में एक साथ दो से ज्यादा पीढ़ियां रहती है। उनके बीच वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है। अलग-अलग कार्यक्षेत्र, भिन्न मित्र मंडली, व्यवहार में विभिन्नता रिश्तों में धीरे-धीरे दूरी बढ़ानी शुरु कर देता है। पुस्तैनी जायदाद, कमाई का अंतर, जिम्मेदारियों का बोझ और नियंत्रण की अति ये वो स्थितियां हैं। जहां से दरार पैदा होनी शुरु हो जाती है। ऐसे में बड़ों और बुजुर्गों का सामने आकर हस्ताक्षेप करना आवश्यक हो जाता है। दोनों पक्षों के बीच सुलह के साथ साथ निष्पक्ष भाव से संतुष्ट करना बड़ों का काम है। जहां इस बात की कमी होती है। वहां स्थित भयावह और अत्यंत नाजुक हो जाती है।
निर्णयों में परिवार को पहले देखें, निजी हितों को बाद में
परिवार को एक सूत्र में बांध कर रखने के लिए एक दूसरे का सम्मान बेहद अहम है।अक्सर संयुक्त परिवार में लोग अपने निजी हित के स्वार्थ में पड़कर अपने ही परिजनों से दुर्भावना रखने लगते हैं ..परिणाम स्वरूप आपसी मनमुटाव और मतभेद की स्थितियां उत्पन्न होती है और अलगाव और परिवार में विघटन के हालात बन जाते हैं। ऐसे में परिवार को एक सुत्र में बाँधें रखने के लिए आवश्यक है अपने निजी हितों के बजाए परिजनों के बारें में सोचा जाए और जो रिश्तें आपके लिए महत्वपूर्ण हैं उनके लिए अनावश्यक निजी स्वार्थों का त्याग किया जाए।
परिवार की एकता और महत्ता को समझें
आज के समय में हर किसी की जिंदगी में कई तरह की परेशानियां और झंझावते हैं .. बाहरी दुनिया में हर व्यक्ति को कदम कदम पर ढेरों मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ..ऐसे में परिवार आपके लिए वो आलम्ब है जिसके सहारें हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है। व्यक्ति को इस बात की महत्ता समझनी चाहिए और हर संभव परिवार को एकता के सूत्र में बांधें रखनी की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि जीवन के हर उतार चढ़ाव में आपका परिवार ही है जो आपके साथ खड़ा दिखता है।