विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का मुखिया, यहां बन गया सिर्फ प्रचारक, ऐसा सिर्फ बीजेपी में हो सकता है।
एक तरफ जहां इनदिनों चारो तरफ केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार को लेकर चर्चा गर्म है। कैबिनेट में किसको जगह मिलेगी किसका पत्ता कटेगा, कयासों का दौर जारी था। वहीं सबकी नजर बीजेपी में पीएम नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ताकतवर और रणनीतिकार अमित शाह के निर्णय पर थी, कि आखिर वो किसको मौका देंगे। वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया में अमित शाह का एक फोटो खूब वायरल हो रहा है। जिसमें बीजेपी अध्यक्ष होने के बावजूद अमित शाह को सबसे पीछे जगह मिलने का दावा किया जा रहा है।
सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है फोटो
वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया से लेकर ख़बरों में अमित शाह का एक फोटो सबसे ज्यादा शेयर किया जा रहा है। जिसमें वो एक मीटिंग के दौरान छठी लाइन में बैठे नजर आ रहे हैं। फोटो को लेकर दावा किया जा रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष होने के बाद भी अमित शाह को छठी लाइन में बैठने को मिला है।
फोटो का सच जानकर हो जाएंगे हैरान
सोशल मीडिया में फोटो वायरल होने के बाद न्यूज ट्रेंड ने जब इसकी पड़ताल की तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए। दरअसल मथुरा के वृंदावन में संघ के समन्वय समिति की बैठक में अगल-अलग संगठनों के 190 प्रचारक शामिल हुए। बैठक एक सितंबर से तीन सितंबर के बीच आयोजित की गई। इस दौरान देश की आंतरिक सुरक्षा, लोकसभा चुनाव और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर चर्चा हुई।
आरएसएस की समन्वय बैठक की निकली तस्वीर
बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली से अमित शाह मथुरा पहुंचे थे। बैठक के दौरान मंच पर सिर्फ दो कुर्सियां लगाई गईं थी। जिसमें एक पर संघ प्रमुख और दूसरी पर सह कार्यवाह भैजाजी जोशी बैठे थे। हॉल में बाकी लोगों के लिए करीब 8 लाइन में 200 कुर्सियां थीं। भागवत के भाषण के दौरान छठी लाइन में शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल बैठे थे।
बीजेपी अध्यक्ष नहीं प्रचारक की हैसियत से पहुंचे थे मीटिंग में
सोशल मीडिया में वायरल इस फोटो के बारे में जब आरएसएस के नेताओं से बात की गई तो उन्होने इस फोटो के राज को साफ किया। साथ ही बताया की ये बैठक आरएसएस की थी। जिसमें सभी आरएसएस के प्रचारकों को वरिष्ठता के आधार पर जगह मिली थी। बीजेपी प्रेसिडेंट के बारे में पूछे जाने पर कहा की अमित शाह भले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, परंतु राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में अमित शाह भी सिर्फ एक प्रचारक है। उनको उसी अनुसार स्थान दिया गया था। एक सीनियर नेता ने बताया कि ऐसी बैठकों में प्रचारक अहम होते हैं। जो वरिष्ठ होते है। इसलिए उन्हें आगे की लाइनों में जगह मिलती है।