13 की उम्र में हुई विधवा, 45 का दूल्हा देख भागी, बहन को बनाया दुल्हन तो लिया खतरनाक बदला
शादी जीवन का सबसे बड़ा फैसला होता है। इसे आमतौर पर लड़कियां बालिग होने पर लेती हैं। लेकिन कुछ जगहों पर लड़कियों को अपनी पसंद का दूल्हा चुनने की आजादी नहीं होती है। इतना ही नहीं समाज की कुरीतियों या पैसों के चक्कर में उनकी शादी कच्ची उम्र में ही कर दी जाती है। राजस्थान के जोधपुर में भी 16 साल की लड़की की शादी 45 साल के शख्स से जबरन करवाई जा रही थी। लेकिन बड़ी बहन ने अंतिम समय में सारा खेल पलट दिया।
13 की उम्र में हुई विधवा
इस कहानी की शुरुआत साल 2013 में शुरू होती है। तब संजू कंवर पांचवी क्लास में पढ़ती थी। उसकी उम्र 13 साल थी। उसकी दो छोटी बहनें और एक भाई है। परिवार खेती बाड़ी करता है। मतलब गरीब किसान है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते परिवार ने उसकी शादी कर दी ताकि एक बच्चे का खर्चा बच जाए।
शादी के सवा महीने बाद ही संजू के पति की करंट लगने से मौत हो गई। हालांकि संजू जब 18 साल की हुई तब उसे एहसास हुआ कि वह विधवा हो चुकी है। ऐसे में उसने अपना ससुराल छोड़ दिया। चार साल बाद संजू 22 की हो गई। उसकी मां को उसकी चिंता सताने लगी। वह चाहती थी कि बेटी की दूसरी शादी हो जाए।
मंडप से भागी तो बहन को बनाया दुल्हन
इसका फायदा बुआ ने उठाया। उसने 5 लाख रुपए लेकर संजू की शादी बीकानेर के अगूणावास निवासी किशन सिंह से फिक्स कर दी। हालांकि शादी से कुछ दिन पहले संजू को पता चला कि उसका दूल्हा किशन सिंह 45 साल का है। ऐसे में वह मंडप से भाग गई। उसकी बुआ दूल्हे से 5 लाख पहले ही ले चुकी थी। इसलिए उसने संजू की छोटी और 16 वर्षीय नाबालिग बहन को जबरन दुल्हन बनाकर मंडप में बैठा दिया।
45 के दूल्हे को पहुंचाया जेल
जब संजू को पता चला कि बुआ उसकी बहन की शादी अब जबरन 45 साल के दूल्हे से कर रही है, तो उसने अपने चचेरे भाई की मदद से बाल आयोग को इसकी सूचना दे दी। साथ ही दूल्हे की फोटो भी सोशल मीडिया पर डाल दी। बाल आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने फौरन कलेक्टर हिमांशु गुप्ता से संपर्क किया। कलेक्टर के निर्देश पर पुलिस शादी के मंडप में पहुंची। उन्होंने दूल्हा किशन सिंह, उसके परिजन इंद्र सिंह और मेघ सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
इस तरह एक बड़ी बहन की मदद से छोटी बहन का बाल विवाह होने से बच गया। भारत में आज भी बाल विवाह चोरी चुपके किए जाते हैं। ऐसे में आप भी इसकी सूचना पुलिस या बाल आयोग को देकर एक बेटी का जीवन बर्बाद होने से बचा सकते हैं।