‘चाय वाले’ की कैबिनेट में अफसरों के साथ ‘पंक्चर वाले’ को भी मिली तरजीह, ये हैं पीएम मोदी के नौ रत्न
सम्भावनाओं की तमाम अटकलो के बीच केंद्रीय कैबिनेट का बहुप्रतीक्षित तीसरा विस्तार राष्ट्रपति भवन में रविवार को सम्पन्न हो गया। मोदी सरकार की नयी सुपर कैबिनेट में नौ नए चेहरों को जगह दी गई, जबकि 4 केंद्रीय मंत्रियों का प्रमोशन हुआ है। ये नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट का तीसरा और सम्भवत: आखिरी विस्तार है जिसमें जातिगत समीकरण के साथ और नए पेशेवर चेहरों के जरिए राजनीति और कार्यक्षमता में संतुलन साधने की कोशिश की गयी है। union cabinet expansion.
इनकों मिला प्रमोशन
राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित इस विस्तार में सबसे पहले धर्मेंद्र प्रधान ने और फिर पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण और मुख्तार अब्बास नकवी ने शपथ ली। धर्मेंद्र प्रधान अब तक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। वे पेट्रोलियम मिनिस्टर हैं। निर्मला सीतारमण भी मोदी सरकार में अब तक राज्य मंत्री थीं। इसके अलावा मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री रहे मुख्तार अब्बास नकवी को भी प्रमोट किया गया है। वहीं, पीयूष गोयल भी इससे पहले राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे।
इन नए चेहरों को मिली जगह
मोदी सरकार के तीसरे कैबिनेट फेरबदल व विस्तार में शिव प्रताप शुक्ला, अश्विनी चौबे, डॉ.वीरेंद्र कुमार, अनंत कुमार हेगड़े, राजकुमार सिंह, हरदीप सिंह पुरी, गजेंद्र सिंह शेखावत, मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह और अलफोंस कन्नथानम को राज्यमंत्री बनाया गया है। खास बात ये है कि नए चेहरे को शामिल करने के मामले में कार्यक्षमता को पैमाना बनाने वाले पीएम ने चुनावी राज्यों की भी परवाह नहीं की है।
विस्तार में प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ को अहमियत नहीं दी गई है। खास बात यह है कि नौ नए चेहरों में दो पूर्व आईएसएस (1975 बैच के ऑफिसरराजकुमार सिंह और 1979 बैच के अलफोंस कन्नाथन, एक पूर्व आईपीएस सत्यपाल सिंह और एक पूर्व आईएफएस अधिकारी हरदीप सिंह पुरी हैं। इनके अफसरों की फौज के साथ शामिल एक नया चेहरा अपने सादगी के कारण सुर्खियां पा रहा है और वो है मध्य प्रदेश से लोकसभा सांसद डॉ.वीरेंद्र कुमार।
पिता के साथ साइकिल के पंक्चर बनाया करते थे
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल होने जा रहे मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ के बीजेपी सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक कभी अपने पिता के साथ साइकिल के पंक्चर बनाया करते थे।, वे आज भी बजाज के पुराने हरे रंग के स्कूटर पर अपने शहर की गलियों में सफर करते हैं।दलित समुदाय से आने वाले 63 साल के वीरेंद्र कुमार संघ, विहिप और भाजपा के विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। खबर के मुताबिक, पिता से पंक्चर बनाना सीखने के बाद उन्होंने दुकान की जिम्मेदारी भी संभालना शुरू कर दिया. इस दौरान वे पढ़ाई भी कर रहे थे. उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए और चाइल्ड लेबर में पीएचडी किया,जेपी आंदोलन के दौरान वीरेंद्र 16 महीने जेल में भी रहे थे।उन्होंने 1996 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता था और इसके बाद अगले तीन लोकसभा चुनाव में भी सागर से जीत हासिल की, लोकसभा सीट के नए परिसीमन के बाद वे टीकमगढ़ से चुनाव जीते। वे कुल 6 बार लोकसभा का चुनाव जीते हैं।