Love Story: अपने गुलाम को दिल दे बैठी थी भारत की पहली महिला शासक Razia Sultan, हुआ दर्दनाक अंत
रजिया सुल्तान (Razia Sultan, 1205-1240) भारत की प्रथम महिला शासक थी। दिल्ली में जब सल्तनत का दौर चलता था तब राजा अपनी बेगमों को महलो के अंदर कैद कर रखते थे। लेकिन उसी दौर में रजिया सुल्तान ने न सिर्फ राजगद्दी संभाली बल्कि महल से बाहर निकलकर युद्ध भी किया। उनके राज में सल्तन का बहुत विकास भी हुआ। उन्होंने सिर्फ चार साल शासन किया, लेकिन इसमें कई ऐसे कारनामे कर दिए कि दुनिया आज भी उन्हें याद रखती है।
एक काबिल शासक थी रजिया सुल्तान
रजिया दिल्ली सल्तनत के मशहूर शासक और सुल्तान शमसुद्दीन इल्तुतमिश की बेटी थी। वह अपने तीन भाइयों में इकलौती बहन थी, लेकिन वह सभी में सबसे काबिल थी। उनके बचपन का नाम हफ्सा मोइन था। लोग उन्हें रज़िया अल-दीन और जलालत उद-दिन रज़िया के नाम से भी जानते हैं। पिता ने बेटी के हुनर को भापते हुए बचपन से उन्हें बेटों की तरह सैन्य प्रशिक्षण दिया और कुशल प्रशासक बनने के गुण भी सिखाए।
सुल्तान शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने बड़े बेटे को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। लेकिन वह अल्पायु में मर गया था। फिर उन्होंने बेटी रजिया को अपना उत्तराधिकारी बना दिया था। लेकिन मुस्लिम समुदाय को एक महिला का शासन स्वीकार नहीं था। वह सुल्तान इल्तुतमिश की वजह से चुप थे। लेकिन 1236 ई. में उनके निधन के बाद उन्होंने रजिया से सिंहासन छीनकर उनके भाई रुखुद्दीन फिरोज को दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा दिया।
रजिया का भाई रुखुद्दीन फिरोज बेवकूफ और अय्याश था। ऐसे में रजिया ने आम जनमानस की मदद से फिर से अपनी राजगद्दी हथिया ली। बाद में रजिया की मां और भाई दोनों की हत्या करवा दी गई। 10 नवंबर, 1236 ई. को रजिया सुल्तान पहली मुस्लिम शासक के रूप में दिल्ली की शासक बनी। उन्होंने राज्य में कुएं और नलकूप खुदवाए, सड़कें बनवाईं, कला, संस्कृति व संगीत को प्रोत्साहन दिया। वहीं हिन्दू और मुस्लिम एकता पर भी काम किया।
अपने ही गुलाम से हो गया था इश्क
रजिया सुल्तान अपनी प्रेम कहानी को लेकर भी जानी जाती हैं। उन्हें अपने गुलाम जमालुद्धीन याकूत से इश्क हो गया था। वह रजिया को घोड़े की सवारी करवाता था। वैसे कहा जाता है कि वह रजिया का सबसे विश्वासपात्र भी था। रजिया ने उसे युद्ध में घोड़ों की जिम्मेदारी देते हुए घुड़साला का अधिकारी बना दिया था। यह बात राज्यपालों, उच्च अधिकारियों और मुस्लिम राजवंश के सूबेदारों को चुभने लगी। उन्हें अपनी रानी का गुलाम संग इश्क भी रास नहीं आया। वे इसका विरोध करने लगे।
इस बीच भटिंडा के गवर्नर इख्तिअर अल्तुनिया का दिल रजिया सुल्तान की खूबसूरती पर आ गया। वह रजिया और दिल्ली दोनों को पाना चाहते थे। उन्होंने रजिया की सल्तनत के विद्रोहियों की मदद से दिल्ली सल्तन पर हमला कर दिया। इसमें रजिया का आशिक याकूत मारा गया। रजिया को बंदी बनाया गया। मौत के डर से रजिया अल्तुनिया से शादी करने को राजी हो गई। बाद में रज़िया के भाई मैज़ुद्दीन बेहराम शाह ने सिंहासन छिन लिया।
राजगद्दी वापस लेने के लिए रज़िया और उसके पति अल्तुनिया ने बेहराम शाह से युद्ध भी किया लेकिन उनकी हार हुई। हार के बाद रज़िया और उसके पति अल्तुनिया दिल्ली छोड़कर भाग गए। वह अगले दिन कैथल आए। यहां सेना ने भी उन्हें छोड़ दिया। फिर 14 अक्टूबर 1240 को दोनों की मौत डाकुओं द्वारा हो गई। कहा जाता है कि शादी के बाद भी रजिया अपने गुलाम प्रेमी जमालुद्धीन याकूत से मोहब्बत करती थी।