मां के पैर धोकर पानी पीता था यह सुपरस्टार, पत्नी ने कहा- मुझे ऐसा पति तो नहीं चाहिए लकिन…’
साल 1986 में अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने वाले मशहूर अभिनेता गोविंदा ने 90 के दशक में हर सिनेप्रेमी के दिल पर राज किया. डांस, एक्टिंग और कॉमेडी हर क्षेत्र में गोविंदा ने अपनी धाक जमाई थी. 90 के दशक में उनकी अदाकारी, डांस और कॉमेडी का हर कोइ दीवाना था.
गोविंदा अपने बेहतरीन काम से बॉलीवुड सुपरस्टार कहलाए. उन्हें बॉलीवुड के हीरो नंबर 1 का टैग भी मिला. चाहे वे अपना स्टारडम बरकरार न रख पाए हो हालांकि उनकी लोकप्रियता अब भी बरकरार है. लंबे समय से गोविंदा फिल्मी दुनिया से दूर है हालांकि वे अक्सर किसी ने किसी रियलिटी शो में देखने को मिल जाते हैं.
अक्सर किसी न किसी रियलिटी शो में गोविंदा बतौर मेहमान शामिल होते हैं. कई मौकों पर उनके साथ उनकी पत्नी सुनीता आहूजा भी मौजूद होती है. दोनों को एक साथ देखकर फैंस बेहद खुश होते हैं. दोनों की जोड़ी को फैंस खूब पसंद करते हैं. दोनों के बीच की ख़ास बॉन्डिंग फैंस का दिल जीत लेती है.
बता दें कि गोविंदा के पिता भी अपने समय में अभियंता रह चुके थे. उनके पिता अरुण आहूजा ने कई फिल्मों में काम किया था. वहीं उनकी मां निर्मला शानदार गायिका थीं. बताया जाता है कि गोविंदा के अपने पिता संग रिश्ते ठीकल नहीं रहे लेकिन वे अपनी मां के बेहद करीब थे.
गोविंदा मां निर्मला को भगवान की तह मानते थे. वे मां का बहुत सम्मान करते थे. इससे जुड़ा एक किस्सा उनकी पत्नी सुनीता ने एक शो के दौरान सुनाया था. सुनीता ने कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो पर कहा था कि, ”जब मैं शादी करके गोविंदा के सथ उनके घर में आई तो इन्होंने सबसे पहले यही कहा था कि इस घर में मेरी मां की मर्जी के अलावा पत्ता भी नहीं हिल सकता. मैं भी गोविंदा के प्यार में इतनी डूबी हुई थी कि ऊफ तक नहीं किया. मुझे हर बंदिश स्वीकार थी”.
आगे सुनीता ने कहा था कि, ”गोविंदा अपनी मां को दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करते थे. गोविंदा से अच्छा बेटा उन्होंने नहीं देखा. यहां तक कि सुनीता ने कहा कि ये पति तो अच्छे हैं ही लेकिन बेटा सबसे अच्छे हैं. अगले जन्म में मैं चाहती हूं कि गोविंदा ही मेरा बेटा बनें”. सुनीता ने यह भी बताया था कि गोविंदा हर जन्मदिन पर अपनी मां के पैर धोकर पानी पीते थे.
मैं जो कुछ भी हूं मां के कारण हूं : गोविंदा
वहीं गोविंदा कई मौकों पर अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को दे चुके हैं. उन्होंने एक बार अपनी मां को याद करते हुए कहा था कि, आज वे जो भी बन गए हैं उसके पीछे उनकी मां का ही हाथ हैं. एक दौर था जब मैं खोली में रहता था. मेरी सारी उम्मीदें धूल में मिली हुई थी और मैंने बड़े सपने देखना छोड़ दिया था.
लेकिन मेरी मां ने मुझे संभाला और बड़े सपने देखने की आंखें दीं. लोग उनसे पूछते रहते थे कि वे इतनी प्रार्थना क्यों करती रहती हैं. लेकिन मेरी मां की प्रार्थना काम आई और हमने साथ में गरीबी से लेकर अमीरी तक का सफर देखा. आज मैं जो कुछ भी हूं इसका पूरा श्रेय मेरी मां को मिलता है.