गरीबी के कारण छोड़ी पढ़ाई, 30 रु लेकर आए थे मुंबई, ऐसे जीरो से हीरो फिर सुपरस्टार बने थे देव आनंद
हिंदी सिनेमा के 109 साल के इतिहास में एक से बढ़कर एक दिग्गज अभिनेता हुए हैं. हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में दिग्गज और दिवंगत देव आनंद भी स्थान रखते हैं. 50 के दशक में देव साहब ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की थी.
देव साहब का नाम हिंदी सिनेमा में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. देव आनंद का जन्म पाकिस्तान की एक तहसील शकरगढ़ में 26 सितंबर 1923 को हुआ था. बाद में उनका परिवार भारत आ गया था. देव साहब ने फ़िल्मी दुनिया में काम करना शुरु कर दिया था.
साल 1946 में उनकी शुरुआत हिंदी सिनेमा में हुई. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. देव साहब देखते ही देखते हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकार बन गए. हालांकि देव आनंद बनने का उनका सफर बहुत मुश्किलों भरा रहा. वे महज 30 रुपये लेकर मुंबई आए थे.
देव साहब का पूरा नाम धरमदेव पिशोरीमल आनंद था. बाद में वे देव आनंद कहलाए. देव आनंद की चर्चा आज इसलिए क्योंकि आज इस दिग्गज अभिनेता की पुण्यतिथि है. आज ही के दिन (3 दिसंबर) को देव साहब ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. 3 दिसंबर 2011 को लंदन में उनका निधन हो गया था.
देव साहब की 3 दिसंबर को 11वीं पुण्यतिथि है. आज ही के दिन ठीक तीन साल पहले वे करोड़ों आंखों को नम करके इस दुनिया से विदा हो गए थे. आइए आज आपको उनकी पुण्यतिथि के मौके पर उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में बताते हैं.
गरीबी के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर सके देव साहब
देव साहब ने गरीबी को बड़े करीब से देखा था. पैसों की कमी के कारण ही वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए थे. उनके पिता वकील थे लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. तंगी के कारण देव साहब को पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी.
जेब में 30 रुपये लेकर मुंबई आ गए थे देव आनंद
देव आनंद को बचपन से ही अभिनय का शौक था. वे अभिनय के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने का सपना लिए मुंबई आ गए थे. सपनों की नगरी मुंबई में जब वे आए तो जेब में महज तीस रुपये लेकर आए थे. मुंबई में रहने के दौरान उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा.
एक्टर बनने से पहले की नौकरी
देव साहब ने अभिनेता बनने से पहले मिलिट्री सेंसर ऑफिस में नौकरी की थी. उन्हें जो भी पैसा मिलता था उससे वे अपना गुजारा ठीक तरीके से कर पाते थे. कुछ समय नौकरी करने के बाद फर उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में किस्मत आजमाई. देव साहब ‘हम एक हैं’ (1946) में नजर आए. इसके बाद वे साल 1948 में आई फिल्म ‘जिद्दी’ में नजर आए. देव साहब को असली और ख़ास पहचान साल 1951 की फिल्म ‘बाजी’ से मिली थी. इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया.