ये चीजें हैं बहुत बेशकीमती, संसार का बड़ा से बड़ा खजाना भी नहीं चुका सकता इसका कर्ज, जानें
काफी पुरानी बात है। उस समय लाहौर में लाहौरी और शाह आलमी दरवाजों के बाहर कभी एक बाग़ हुआ करता था। उसी बाग़ में एक फ़क़ीर रहा करता था। फ़क़ीर के दोनों हाथ नहीं थे। हालांकि बाग़ में काफी पेड़-पौधे थे, इस वजह से बाग़ में काफी मच्छर भी रहते थे। आते-जाते हुए एक व्यक्ति उस फ़क़ीर को कई बार देख चुका था। फ़क़ीर लोगों को आवाज देता फिर माथा झुकाकर उनसे पैसे मांगता था।
बिन हाथ के तुम खाते कैसे हो?
एक दिन व्यक्ति से रहा नहीं गया तो उसनें पूछ ही लिया पैसे तो मांगते हो लेकिन इस पैसे का करोगे क्या इससे रोटी कैसे खाओगे? फ़क़ीर ने व्यक्ति की बात सुनकर कहा, जब शाम जाती है तो उस नानबाई को पुकारता हूँ, ‘ओ जुम्मा आकार पैसे ले जा और रोटियाँ दे जा।‘ वही भीख में मिले हुए पैसे उठा जे जाता है और रोटियाँ दे जाता है। यह सुनकर व्यक्ति ने कहा, लेकिन तुम खाते कैसे हो?
कोई राहगीर आकर खिला देता हैं रोटियाँ:
फ़क़ीर बोला खुद तो खा नहीं सकता हूँ, इसलिए आने-जाने वालों को आवज देकर बुलाता हूँ और उनसे कहता हूँ भगवान तुम्हारे हाथ बनाए रखें, मुझपर दया करो। मेरे हाथ नहीं है, मुझे रोटी खिला दो। हालांकि हर कोई सुनता नहीं है, लेकिन कोई-कोई तरस खाकर खिला ही देता है। प्रभु का वह भक्त मेरे पास आता है, रोटियाँ तोड़कर मेरे मुँह में डालता है और मैं खा लेता हूँ। यह सुनकर व्यक्ति का दिल भर आया।
सिर्फ दो हाथों के ना होने से कैसी हो गयी फ़क़ीर की हालत:
फिर व्यक्ति ने पूछा पानी कैसे पीते हो फिर? इस घड़े को पैरों की मदद से झुककर प्याला भर लेता हूँ फिर जानवरों की तरह झुककर पानी पी लेता हूँ। व्यक्ति ने फिर पूछा यहाँ मच्छर बहुत हैं, जब मच्छर माथे पर काटते हैं तो क्या करते हो? फ़क़ीर ने कहा माथे को जमीन पर रगड़ लेता हूँ, अगर कहीं और मच्छर काट लेता है तो तडपता रहता हूँ। सिर्फ दो हाथों के ना होने से उस फ़क़ीर की क्या हालत हो गयी थी।
ईश्वर के दिए हुए शरीर का हर अंग है अनमोल:
कुछ लोग इस शरीर की हमेशा निंदा करते रहते हैं। शरीर का हर अंग अनमोल है। इसकी कोई कीमत नहीं है, यह अनमोल है, संसार का बड़ा से बड़ा खजाना भी इसका मोल नहीं चुका सकता है। यह भी सोचना चाहिए कि यह शरीर मिला किस लिए है। इसके हर अंग का उपयोग करना चाहिए। इंसान की आँखें पाप देखने के लिए नहीं, कान निंदा सुनने के लिए नहीं, हाथ दूसरों का नुकसान करने के लिए नहीं और मन दूसरों के प्रति बैर रखने के लिए नहीं मिला है।