पाकिस्तान को उसके घर में ही राजनाथ सिंह ने खूब ‘धोया’, पढिए पूरा भाषण
सबसे पहले मैं महामहिम निसार अली खां साहेब को इस बैठक का अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई देता हूं। मैं इस अवसर पर इस बैठक की मेजबानी के लिए पाकिस्तान सरकार द्वारा किये गये बेहतरीन प्रबंधों और मुझे तथा मेरे शिष्टमंडल को दिए गए उत्तम आतिथ्य सत्कार के लिए धन्यवाद देता हूं।z
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार यानी 4 अगस्त को इस्लामाबाद, पाकिस्तान में आयोजित सार्क आंतरिक/गृह मंत्रियों की सातवीं बैठक को संबोधित किया। उनके वक्तव्य का पाठ इस प्रकार है –
दो साल पहले हमारी सरकार के गठन से ही भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात दोहराई है। हमारी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत हमने इस क्षेत्र के अपने भागीदारों के साथ मिलकर अपने लोगों के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपने संबंधों को मजबूत करने और मिलकर काम करने के प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मैं इस बैठक में इसी उद्देश्य के साथ आया हूं।
उल्लेखनीय है कि इस मंच के तहत हम पिछली बार नवम्बर, 2014 में काठमांडू में आयोजित 18वें सार्क सम्मेलन से पूर्व मिले थे। उस शिखर सम्मेलन में हमारे नेताओं ने दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत बनाने में प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। सार्क की स्थापना को 30 वर्ष हो चुके हैं। आज हमें पहले की अपेक्षा क्षेत्रीय सहयोग को उस स्तर पर ले जाने की कहीं अधिक जरूरत है, जिसमें हम अपने लोगों की आकांक्षाओं और उम्मीदों को पूरा कर सकें।
इस क्षेत्र के लिए हमारा दृष्टिकोण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 18वें शिखर सम्मेलन में व्यक्त किया था, जो व्यापार, निवेश, व्यापक विकास सहयोग, हमारी जनता के मध्य संबंध और सहज जुड़ाव के मजबूत स्तंभों पर निर्भर करता है। हमने उसी के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पहलों को आगे बढ़ाया है। मुझे खुशी है कि हमने भारत में व्यापार कार्ड योजना लागू की है, जिससे भारत की अपनी यात्राओं के दौरान व्यापार जगत के दिग्गजों को सहायता मिलेगी।
यह महत्वपूर्ण है कि दक्षिण एशियाई माहौल में व्यापक क्षेत्रीय समृद्धि, जुड़ाव और सहयोग अर्जित करने की सभी आवश्यक परिस्थितियां मौजूद हैं, लेकिन इसकी सफलता के लिए हमें अपने प्रयासों को सफल बनाना होगा। हमने बढ़ती हुई चुनौतियों और घटनाओं को देखा है, जिससे हमारे क्षेत्र की शांति और स्थिरता को खतरा पैदा हो गया है। आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है और इससे हमारी शांति को खतरा पैदा हो गया है। दक्षिण एशिया इस त्रासदी से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, जैसा कि हमने अभी हाल ही में पठानकोट, ढाका, काबुल और अन्य स्थानों पर हुए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमलों में देखा है। केवल ऐसे आतंकवादी हमलों की कड़े शब्दों में भर्त्सना करना ही पर्याप्त नहीं है। हमें इस त्रासदी को समाप्त करने के लिए कड़ा संकल्प लेना चाहिए और इस दिशा में गंभीर प्रयास भी किये जाने चाहिए।
यह भी जरूरी है कि आतंकवाद को महिमा मंडित न किया जाए और किसी भी देश द्वारा उसे संरक्षण न दिया जाए। एक देश के आतंकवादी किसी दूसरे देश के लिए शहीद या स्वतंत्रता लडाकू नहीं हो सकते। मैं न केवल भारत या अन्य सार्क सदस्यों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए बोल रहा हूं कि किसी भी परिस्थिति में आतंकवादियों को शहीदों का दर्जा न दिया जाए। जो देश आतंकवाद को या आतंकवादियों को समर्थन प्रोत्साहन, संरक्षण, सुरक्षित आश्रय या अन्य सहायता उपलब्ध कराता है, उसे अलग-थलग किया जाए। न केवल आतंकवादियों या आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है, बल्कि उन व्यक्तियों, संस्थानों या देशों के खिलाफ भी ऐसी ही कड़ी कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है। इससे ही यह सुनिश्चित होगा कि मानवता के खिलाफ आतंकवाद के गंभीर अपराध को बढ़ावा देने में लगी ताकतों से केवल प्रभावी रूप से ही निपटा जा सकता है।
प्रतिबंधित और वांछित आतंकवादियों और उनके संगठनों के खिलाफ इच्छा शक्ति और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए और उसे लागू भी किया जाना चाहिए। अगर हमें आतंकवाद से छुटकारा पाना है तो हमें इस बात में विश्वास करना होगा कि अच्छे और बुरे आतंकवादियों में भेद करने के प्रयास कोरा भ्रम फैलाने का प्रयत्न मात्र ही है। किसी भी प्रकार के आतंकवाद को किसी भी आधार पर मदद करना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की किसी भी तरह से मदद करने वालों के खिलाफ तुरंत प्रभावी कार्रवाई किये जाने की जरूरत है, चाहे वो कोई भी हों। मुंबई या पठानकोट जैसे आतंकवादी हमलों के शिकार लोगों को भी तभी न्याय मिलेगा। हमें किसी भी प्रकार के आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।