हर प्रकार के वास्तुदोष का रामबाण उपाय, कुछ पल में ही कर देगा सभी वास्तु सम्बन्धी दोषों को दूर
वास्तुशास्त्र भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। ऐसा माना जाता है कि वास्तुदोष की वजह से ही व्यक्ति गलत मार्ग की ओर अग्रसर करता है। अगर घर का वास्तु सही नहीं है तो आपकी संतान, बेटा हो या बेटी गलत मार्ग पर चल सकते हैं। वो गलत फैसला लेकर अपना जीवन भी तबाह कर सकते हैं। कई बार ख़राब वास्तु होने की वजह से वह घर से भी भाग जाते हैं। वास्तुदोष सबसे पहले व्यक्ति के मन और बुद्धि को प्रभावित करता है। वास्तुशास्त्र घर की दिशाओं पर ही निर्भर करता है। हर दिशा का अपना एक अलग महत्व है।
वास्तुदोष से छुटकारा पाने के लिए दिशाओं सम्बन्धी करें यह उपाय:
*- पूर्व दिशा:
पूर्व दिशा को सूर्य प्रधान दिशा माना जाता है। सूर्य पूर्व दिशा में ही उगता है, इसलिए पुरे विश्व में पूर्व दिशा और सूर्य का महत्व है। पूर्व दिशा के स्वामी सूर्यदेव हैं। इसी वजह से पूर्व दिशा ज्ञान, अध्यात्म और प्रकाश की प्राप्ति में व्यक्ति की मदद करता है। इसलिए पूर्व दिशा को कभी भी ढँककर नहीं रखना चाहिए। इससे घर में कष्टों का प्रवेश होता है।
*- पक्षिम दिशा:
इस दिशा को वरुण का स्थान माना जाता है। यह दिशा सफलता, भव्यता और यश का आधार है। इस दिशा के स्वामी शनिदेव हैं। धन की देवी माँ लक्ष्मी की सभी पूजा इसी दिशा की तरफ मुँह करके किया जाता है।
*- उत्तर दिशा:
इस दिशा को कुबेर की दिशा भी कहा जाता है। इस दिशा को मातृ स्थान भी कहा जाता है। इस दिशा के स्वामी बुध हैं। इस दिशा को भी खाली रखने की सलाह दी जाती है, ऐसा ना होने पर माता को कष्ट की सम्भावना बढ़ जाती है।
*- दक्षिण दिशा:
इस दिशा को यम देव की दिशा माना जाता है। यम बुराइयों को ख़त्म करने वाले देवता हैं, यह पापों से छुटकारा भी दिलाते हैं। पितर इसी दिशा में निवास करते हैं। इस दिशा को सुख-समृद्धि और अन्न का श्रोत कहा गया है। इस दिशा में गंदगी होने से गृहस्वामी का विकास बाधित हो जाता है। इस दिशा का ग्रह मंगल होता है।
*- दक्षिण-पूर्व दिशा:
यह दिशा अग्नि देव की दिशा है। यह किसी भी इंसान के व्यक्तित्व को बेहतर, और आकर्षक बनाते हैं साथ ही जीवन को सुखों से भर देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिशा में आग से सम्बंधित कार्य घर में करना चाहिए। अर्थात घर की इसी दिशा में खाना बनाना चाहिए। इससे जीवन में खुशिया आती हैं और सदस्यों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। इस दिशा के स्वामी शुक्र हैं।
*- उत्तर-पूर्व दिशा:
इस दिशा को सोम और भगवान शिव की दिशा कहा जाता है। इस दिशा को धन, स्वास्थ्य और ऐश्वर्य देने वाली दिशा भी कहा जाता है। यह दिशा वंश में वृद्धि करके स्थायित्व प्रदान करती है। घर की इस दिशा को भी हमेशा पवित्र रखना चाहिए।
*- दक्षिण-पक्षिम दिशा:
घर की यह दोष मृत्यु की दिशा कही जाती है। इस दिशा में शैतान या पिशाच का वास होता है। इस दिशा का स्वामी राहू ग्रह है। इस दिशा में दोष होने से परिवार के किसी सदस्य की असमय मृत्यु की आशंका बनी रहती है।
*- उत्तर-पक्षिम दिशा:
इस दिशा को वायुदेव की दिशा माना जाता है। वायुदेव व्यक्ति को शक्ति, स्वास्थ्य और प्राण प्रदान करते हैं। इस दिशा को मित्रता और शत्रुता का आधार भी माना जाता है। इस दिशा का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है।
इस तरह से करें वास्तु दोष का उपाय:
कहा जाता है कि वास्तु पुरुष के प्रार्थना करने के बाद ही ब्रह्मा जी ने वास्तु के नियमों की रचना की थी। इसको अनदेखा करने वाले व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वास्तु की संतुष्टि बिना गणेश भगवान की आराधना के संभव नहीं है। भगवान गणेश की पूजा करके वास्तुदोषों को समाप्त किया जा सकता है। प्रतिदिन नियमानुसार भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें, इससे वास्तुदोष उत्पन्न होने की सम्भावना ख़त्म हो जाती है।