‘कलियुग’ में सिर्फ 12 साल जीवित रहेगा इंसान! जानिए इस युग के अंत में कैसा होगा मनुष्य का हाल?
नई दिल्ली – शास्त्रों में चार युगों – 1. कलियुग, 2.सत्ययुग, 3. त्रेतायुग और द्वापरयुग का जिक्र किया गया है। कई हजार वर्ष पूर्व भागवत में शुकदेवजी ने कलयुग के बारे में वर्णन किया है आज उसी के अनुसार ही घटनाएं घट रही है और आगे भी उन्होंने जो लिखा है वैसा ही होगा। आपको यहां बता दे कि ‘युग’ शब्द का अर्थ वर्षों की एक निश्चित काल-अवधि होता है। हर युग की विशेषताएं अगल – अलग होती हैं, जिसका जिक्र शास्त्रों में भी किया गया है। शास्त्रों को जानने वाले के मुताबिक अभी हम कलियुग में हैं। कलियुग अपने पहले चरण में है। लेकिन आने वाले भविष्य में जैसे-जैसे कलियुग के चरण पूरे होते जाएंगे इसका असर मनुष्यों के साथ-साथ दुनिया पर भी देखने को मिलेगा। Facts about Kaliyug and kalki.
कब होगा ‘कलियुग’ का अंत?
शास्त्रों के मुताबिक, मनुष्य का एक मास पितरों का एक दिन-रात होता है। ऐसे ही मनुष्य का एक वर्ष देवता का एक दिन-रात होता है। इसी तरह मनुष्य के 30 वर्ष देवता का एक मास के बराबर होता। मनुष्य के 360 वर्ष देवता का एक वर्ष माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, कलियुग 4,32,000 वर्षों का हैं। जिसमें 4,27,000 वर्ष बचा हुआ है। यानि 4,27,000 वर्षों बाद कलियुग का अंत हो जाएगा और हम पुन: सतयुग में प्रवेश कर जाएंगे।
कलियुग के अंत में कैसा होगा मनुष्य का हाल?
ब्रह्मापुराण के अनुसार, कलियुग की अवधि अर्थात् कालावधि 4,32,000 वर्ष है। इस युग में मनुष्य की आयु 100 वर्ष होगी और लम्बाई – 5.5 फिट (लगभग) होगी। कलियुग के अंत तक मानव जाति का पतन होगा, लोगों में द्धेष कि भावना बढ़ेगी। कलियुग के अंत तक मनुष्य की लंबाई 4 इंच और उम्र महज 12 साल की हो जाएगी। स्त्रियां कठोर स्वभाव कि हो जाएंगी। स्त्रियां केवल धनवान के पास ही रहेंगी। मनुष्यों का स्वभाव गधों जैसा होकर रह जाएगा।
कब होगा पृथ्वी पर कल्कि अवतार?
शास्त्रों के मुताबिक, कलियुग में जब पाप की सीमा पार हो जाएगी, तब पृथ्वी से दुष्टों के संहार के लिये भगवान विष्णु कल्कि का अवतार लेंगे। कल्कि अवतार कलियुग के अंतिम चरण में होगा। भगवान विष्णु का कल्कि अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। पुराणों के मुताबिक कल्कि का जन्म उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के संभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के यहां होगा। भगवान विष्णु कल्कि के रुप में अवतार लेकर देवदत्त नामक घोड़े पर सवार हो पापियों का नाश कर धर्म की पुन:स्थापना करेंगे।