दिवाली से पहले नाराज हिंदू, रैली निकाली, भगवान की मूर्ति नदी में छोड़ी और अपना लिया दूसरा धर्म
बारां (राजस्थान) : देश-दुनिया में दिवाली का माहौल है. दुनियाभर में हिंदू इस त्यौहार को धूमधाम के साथ मनाते हैं. हिंदूओं का यह सबसे बड़ा त्यौहार है लेकिन इसी बीच राजस्थान से कुछ हिंदूओं से संबंधित बुरी खबर सामने आई है. यहां कुछ हिंद ओं के दिवाली से ठीक पहले धर्म परिवर्तन की खबर सामने आई है.
दिवाली से पहले राजस्थान के बारां जिले में धर्म परिवर्तन का मामला सामने आने के बाद स्थिति बिगड़ गई है. जानकारी के मुताबिक, यहां लगभग ढाई सौ से ज्यादा लोगों ने अपना धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपना लिया. इस खबर के सामने आने के बाद मामला आला कमान तक पहुंच गया है और इसकी आंच सीएम हाउस जयपुर तक पहुंच चुकी है.
सीएम गहलोत ने अफसरों से मांगी रिपोर्ट…
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए बारां जिले के प्रशासनिक और पुलिस अफसरों को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है.
मूर्तियां प्रवाहित करने के बाद बदला धर्म…
बता दें कि पूरा मामला बारां जिले के अंतर्गत आने वाले भूलोन गांव का है. पहले कई परिवारों के ढाई सौ से ज्यादा लोगों ने हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां नदी में प्रवाहित कर दी. इसके बाद उन्होंने अपना धर्म छोड़कर पराया धर्म अपना लिया. सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो सुर्ख़ियों में है. यह घटनाक्रम आस-पास के गांवों में भी चर्चा में बना हुआ है.
क्यों नाराज हुए हिंदू ?
धर्म परिवर्तन करने वाले हिंदूओं ने पुलिस और प्रशासन पर आरोप लगते हुए बताया कि उनके मामले में कहीं पर भी कोई भी कार्रवाई नहीं हो रही थी. ऐसे में उन्होंने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक से मदद मांगी थी लेकिन कोई कार्रवाई न होने के बाद उन्होंने धर्म बदलने का मार्ग चुना और गांव के करीब ढाई सौ हिंदूओं ने हिंदू धर्म त्याग कर दूसरे धर्म में जाना उचित समझा. ऐसा उन्होंने मजबूरी वश किया है न कि किसी अन्य कारण से.
बता दें कि इस साल नवरात्री के मौके दलित हिंदूओं ने मातारानी की आरती की थी इसके बाद सवर्ण समाज के युवकों ने दलितों से मारपीट की थी. इस घटना से समाज में आक्रोश था और जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी. इससे आहत होकर दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया.
हिंदू धर्म छोड़कर अपना लिया बौद्ध धर्म…
बता दें कि हिंदूओं ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया है. इससे पहले समाज के लोगों ने गांव में आक्रोश रैली निकाली थी और फिर डॉ. भीमराव अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं लेकर सभी बौद्ध बन गए.