5 साल छोटे अमिताभ को ‘सर’ न बोलने पर कादर खान ने रोए थे खून के आंसू, फिल्म से कर दिए गए थे बाहर
हिंदी सिनेमा के बेहतरीन अभिनेताओं में गिने जाने वाले कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था. कादर खान आज जीवित होते तो वे अपना 85वां जन्मदिन मना रहे होते लेकिन आज (22 अक्टूबर) उनकी जयंती है. आइए इस मौके पर आपको उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें बताते हैं.
कादर खान ने बॉलीवुड की ढेरों फिल्मों में काम किया था. बड़े पर्दे पर उन्होंने सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के किरदार निभाए थे. अपने शानदार अभिनय से कादर ने लोगों का दिल जीत लिया था. बता दें कि उनके पिता कांधार के थे और उनकी मां बलूचिस्तान की थी.
कादर से पहले उनके तीन भाई और हुए थे लेकिन तीनों की आठ साल की उम्र तक आते-आते मौत हो गई थी. वहीं जब कादर का जन्म हुआ तो उनकी मां ने वहां न रहने की कसम खा ली थी. इसके बाद कादर का परिवार मुंबई आ गया था और यहां एक झुग्गी धारावी में रहने लगा.
कादर खान एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ ही जबरदस्त डायलॉग राइटर भी थे. वहीं उन्होंने कई शानदार फिल्मों की कहानियां भी लिखी. वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी भी थे. उन्होंने हिंदी सिनेमा में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था. हालांकि आपको बता दें कि ‘सदी के महानायक’ अमिताभ बच्चन संग उनके रिश्ते बिगड़ गए थे.
जब अमिताभ बच्चन को सर न कहना कादर को पड़ा महंगा…
कादर खान ने दिग्गज और महान अभिनेता अमिताभ बच्चन को लेकर एक किस्सा साझा किया था जो कि किसी फ़िल्म की शूटिंग के समय का था. कादर खान ने एक साक्षात्कार में बताया था कि फिल्म की शूटिंग के दौरान उनके पास निर्माता आया और कहा कि, ”आप क्या सर जी को मिला”.
कादर खान ने नजरें घुमाई और पाया कि सामने से अमिताभ बच्चन आ रहे थे. निर्माता को जवाब देते हुए कादर ने कहा था कि, ”वो तो अमित है वो सर जी कब से हो गए”. तो निर्माता ने कादर से कहा कि, ”हम उन्हें सर जी कहते हैं”. लेकिन कादार खान ने बताया था कि मेरे मुंह से कभी अमित के लिए सर जी नहीं निकला.
अपनी बात जारी रखते हुए कादर ने आगे कहा कि सेट पर माहौल ऐसा बन चुका था कि अमिताभ बच्चन को सब सर कहने लगे थे लेकिन मुझसे ऐसा नहीं हो पाया. कादर के मुताबिक़, ”यही वजह रही कि मैं भी वहां से निकल गया. आखिर कोई अपने दोस्त अपने भाई को सर जी कैसे बुला सकता है. शायद यही वजह रही कि मुझे ‘खुदा गवाह’ से बाहर कर दिया गया. ‘गंगा जमुना सरस्वती’ भी आधी लिखी और आधी छोड़ दी. बहुत सी फिल्में छोड़नी पड़ीं.