आदिपुरुष से लाख गुना बेहतर है रामानंद सागर की रामायण, देखने के लिए मरीज छोड़ देते थे डॉक्टर
‘रामायण’ पर आधारित फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) का इस समय बहुत विरोध हो रहा है। कोई इसके सस्ते VFX की हंसी उड़ा रहा है तो कोई फिल्म में धार्मिक भावनाओं को आहात करने को लेकर नाराज है। ओम राउत (Om Raut) निर्देशित इस फिल्म में सैफ अली खान (Saif Ali Khan) , प्रभास (Prabhas), सनी सिंह (Sunny Singh) और कृति सेनन (Kriti Sanon) लीड रोल में हैं। दर्शकों को इनमें से कोई भी कलाकार रामायण के किरदारों में पसंद नहीं आ रहा है।
आदिपुरुष से लाख गुना बेहतर थी रामानंद सागर की रामायण
450 करोड़ के बजट में तैयार आदिपुरुष को यह कहकर ताना मारा जा रहा है कि आप जनवरी 1987 में आई रामानंद सागर की रामायण (Ramayan) से कुछ सिख लें। तब कम बजट और बेसिक VFX के बावजूद रामायण ने इतिहास रच दिया था। इसमें अरुण गोविल (Arun Govil), दीपिका चिखलिया (Dipika Chikhlia) और सुनील लहरी (Sunil Lahri) क्रमशः राम, सीता और लक्ष्मण के किरदार में नजर आए थे।
दूरदर्शन पर रविवार सुबह साढ़े नौ बजे प्रसारित होने वाल ये रामायण इतनी दमदार थी कि लोग इनमें काम करने वाले कलाकारों को साक्षात ईश्वर मानते थे। कार्यक्रम शुरू होने से पहले टीवी पर फूल माला चढ़ाते थे। शो के शुरू होते ही सड़के सुनसान हो जाती थी। हर कोई बस टीवी से चिपका रहता था। राम-सीता के आते ही हाथ जोड़ने लगता था। जोर जोर से जय श्रीराम के नारे लगाता था।
रामायण देखने मरीज छोड़कर चले जाते थे डॉक्टर
रामायण की लोकप्रियता इतनी थी कि डॉक्टर और नर्स मरीजों को छोड़कर टीवी पर रामायण देखने चले जाते थे। लखनऊ के एक अस्पताल में मरीजों ने इस बात की शिकायत भी की थी। हालांकि ऐसा डॉक्टर सिर्फ हल्की फुल्की बीमारी वाले मरीजों के साथ ही करते थे। वहीं रामायण के एपिसोड के समय के अनुसार लोग अपनी शादी की तारीख तक बदल दिया कफ़रते थे। जिस दिन रामायण आता था उस दिन कोई भी राजनीतक दाल रैली भी नहीं निकालता था। क्योंकि रामायण छोड़ उन्हें देखने कोई नहीं आता था।
रामानंद सागर सोमवार से गुरुवार तक हर एपिसोड की शूटिंग रखते थे। फिर शुक्रवार को शो एडिट होता था और रविवार सुबह ब्रॉडकास्ट हो जाता था। यह शूटिंग अधिकतर रात के समय होती थी और सुबह पैकअप होता था। सेट पर हमेशा 200 से 300 लोग रहते थे। तब पंखे और एसी की सुविधा भी सेट पर मौजूद नहीं थी। ऐसे में सुंदर कॉस्ट्यूम, गहनों से संवरे कलाकारों की गर्मी और उमस से हालत खराब हो जाती थी।
कलाकारों को मानते थे ईश्वर की चलती-फिरती मूरत
शो में सीता का रोल करने वाली दीपिका चिखलिया बताती हैं कि जब उन्होंने रामायण में काम किया तब उनकी उम्र कम थी। उन्हें कोई अंदाजा नहीं था कि वे सभी इतिहास रचने जा रहे हैं। आलम ये था कि बड़े उम्र के बुजुर्ग भी जब उनसे मिलते थे तो पैर पड़ने लगते थे। दीपिका को इसका बुरा भी लगता था। लेकिन वह समझती थी कि वे उनके नहीं माता सीता के पैर पड़ रहे हैं। ये उनकी आस्था है।
रामायण का अंतिम एपिसोड 31 जुलाई, 1988 को ब्रॉडकास्ट हुआ था। अंतिम शूटिंग के दौरान सभी कलाकार एक दूसरे के गले मिले थे। उनके लिए अपने इस डेली के रूटीन से बाहर आना बड़ा कठिन था। शो के खत्म होने के बाद भी लोग जब इन कलाकारों से मिलते थे तो उन्हें बड़ा आदर और सम्मान देते थे। उन्हें ईश्वर की चलती-फिरती मूरत मानते थे।
हालांकि रावण बने अरविंद त्रिवेदी को प्यार की बजाय नफरत मिलती थी। लोग उनसे असल जंदगी में भी रावण समझकर नफरत करने लगे थे। यह रामायण इतनी अच्छी थी कि सालों बाद जब कोविड काल में इसका पुनः प्रसारण हुआ तब भी दर्शकों ने इसे खूब प्यार दिया।