राजस्थान का एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर जहां पत्थर का बन जाता है इंसान
राजस्थान में कई मंदिर ऐसे हैं जिसकी खूबसूरती और रहस्य आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. वहां के सौंदर्य को तो हम अपनी आखों से देख लेते हैं, लेकिन इन मंदिरों में छिपे उन रहस्यों को नहीं जान पाते जो हमेशा से ही एक राज़ बना हुआ है. आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक मंदिर की जो बाड़मेर जिले के किराडू में है. कहा जाता है कि यहां पर रात में सोने वाला इंसान या तो हमेशा के लिए सो जाता है या फिर वह पत्थर की शक्ल ले लेता है. Mystery behind kiradu Temple in rajasthan.
बाड़मेर की किराडू मंदिर की हकीक़त इसके इतिहास में छिपी है. कोई कहता है कि मुग़लों के कई आक्रमण झेलने की वजह से आज ये जगह बदहाल है. लेकिन यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो एक साधू के शाप ने इस मंदिर को पत्थरों की नगरी में बदल दिया.
क्या है मान्यता :
ऐसी मान्यता है कि काफी वर्षों पहले यहां एक तापसी साधू अपने शिष्य के साथ रहता था. एक बार वह देशाटन के लिए गए, लेकिन अपने प्रिय शिष्य को गांववालों के भरोसे आश्रम में ही छोड़ गए. उन्हें भरोसा था कि जिस तरह से गांव के लोग उनकी सेवा करते हैं ठीक उसी तरह से उनके शिष्य की भी देखरेख करेंगे. लेकिन सिवाय एक कुम्हारन ने किसी भी उस अकेले शिष्य की सुध नहीं ली. साधू जब वापस लौटा तब शिष्य को बीमार देखकर वह क्रोधित हो गया. उसने शाप दिया कि जहां के लोगों में दया की भावना ना हो वहां जीवन का क्या मतलब. इसलिए यहां के सभी लोग पत्थर के हो जाएं और पूरा शहर बर्बाद हो जाए.
फिर क्या था देखते-देखते सभी पत्थर के हो गए. सिवाय उस कुम्हारन के जिसने शिष्य की सेवा की थी. साधू ने उस कुम्हारन से कहा कि तेरे ह्रदय में दूसरों के लिए ममता है इसलिए तू यहां से चली जा. साथ में चेतावनी भी दी कि जाते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना वरना तू भी पत्थर की हो जाएगी. कुम्हारन वहां से फ़ौरन भाग खड़ी हुई. लेकिन जाते वक़्त अचानक उसके मन में एक बात आई कि क्या सच में किराडू के लोग पत्थर के हो गए हैं. यह देखने के लिए वह जैसे ही पीछे मुड़ी वह खुद भी पत्थर की मूर्ति में बदल गयी. मूर्ति आज भी अपने उस भयावह अतीत को बयां करती दिखाई देती है.
इस कहानी में कितनी सच्चाई है कोई नहीं जानता. लेकिन इतिहासकारों की मानें तो 14वीं शताब्दी तक किराडू मुग़लों के आक्रमण से तो बचा हुआ था. ऐसे में शायद इस साधू का शाप ही था जिसने इस देवालय भूमि को पत्थरों के वीराने में बदल दिया.