आखिर क्यों विपक्षी दल एकजुट नहीं हो पा रहे हैं मोदी-शाह से टक्कर लेने के लिए? जानें
नई दिल्ली: भारत का समय उसी समय बदल गया जब 2014 में नरेन्द्र मोदी ने इस देश की सत्ता संभाली। पीएम मोदी सत्ता में ‘सबका साथ-सबका विकास’ नारे के साथ आये। उनके इस नारे ने ऐसा जादू किया कि भारत की जनता ने एक तरफ होकर उन्हें भारी बहुमत से जीता दिया। ऐसे में विपक्षी दलों की खटिया खड़ी हो गयी। मोदी के सामने कोई भी विपक्षी दल टिक नहीं पाया।
उनके दिल में भारत के लिए बनी है ख़ास जगह:
आज मोदी को सत्ता संभालते हुए 3 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। इस दौरान उन्होंने देश की विदेश नीति को मजबूत बनाने और अन्य देशों से मजबूत रिश्ते करने के लिए कई विदेश यात्राएं की। पीएम मोदी ने उन देशों की भी यात्राएं की, जहाँ उससे पहले कोई भारतीय प्रधानमंत्री नहीं गया था। इससे उन्होंने उन देशों का भरोसा जीता और उनके दिल में भारत के लिए ख़ास जगह बनाई।
आज चुनाव हो तो बीजेपी फिर आएगी सत्ता में:
आज स्थिति ये हो गयी है कि विश्व के कई देश भारत की तारीफों के पुल बाँधते हैं। इसमें किसी और का नहीं बल्कि पीएम मोदी का ही हाथ है। आज विश्व में भारत की जो छवि बनी है, उसके पीछे पीएम मोदी की कड़ी मेहनत छुपी हुई है। देश की जनता का भरोसा उन्होंने अपने काम से जीता। बीच-बीच में आने वाले सर्वे बताते हैं कि अगर आज चुनाव हुए तो पीएम मोदी एक बार फिर देश की सत्ता पर विराजमान होंगे।
बीजेपी से टकराने की हिम्मत किसी में नहीं:
इस समय नरेन्द्र मोदी ने बीजेपी को देश की सियासत में उस मुकाम पर लाकर रख दिया है, जहाँ मौजूदा वक़्त में बीजेपी से टकराने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा है। सभी विपक्षी दल डरे हुए हैं। मोदी के सामने चुनौती बनने के लिए विपक्षी दल कई स्तर से एकजुट होने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सफल होने से पहले ही उनमें बिखराव हो जा रहा है। दिन-प्रतिदिन विपक्षी दलों का ग्राफ निचे ही गिरता जा रहा है।
एकजुट ना हो पाने के पीछे नेतृत्व की कमी:
इन दिनों देश की लगभग सभी बड़ी पार्टियों कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राजद, बीजू जनता दल, ए.आई.ए.डी.एम.के., डी.एम.के., एन.सी.पी. वामपंथी दल, सपा, बसपा और आप सहित अन्य क्षेत्रीय दलों के लिए बीजेपी ही सबसे बड़ी चुनौती है। सभी को पता है कि वह बीजेपी से टक्कर अकेले नहीं ले सकते हैं। मोदी से टक्कर लेने के लिए विपक्ष के एकजुट ना होने के पीछे सबसे बड़ी वजह नेतृत्व की कमी है। कांग्रेस से लेकर आप सभी विपक्षी दल बीजेपी से लड़ना चाहते हैं, लेकिन इस लड़ाई का नेतृत्व कौन करेगा यही स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।