एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसकी बहन सड़क किनारें फूल बेचकर कर रही हैं गुजारा
किसी के परिवार में कोई नेता हो, भले ही गांव के प्रधान पद का चुनाव जीता हो. लेकिन सात पुश्तों के खाने कमाने का इंतजाम कर देता है। वहीं अगर किसी के परिवार में मां बाप या भाई मुख्यमंत्री हो जाएं तो फिर पूरा परिवार मुख्यमंत्री हो जाता है। लेकिन आज हम भारत के ऐसे मुख्यमंत्री से मिलने वाले हैं जिसका परिवार गांव के पुस्तैनी साधारण से मकान में रहता है, उसकी बहन मंदिर के बाहर सड़क किनारे फूल बेंचती है। दरअसल भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की बहन आज भी उत्तराखंड के एक मंदिर में फूल और प्रसाद बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं।
फूल माला और प्रसाद बेचकर कर रही हैं जीवन-यापन
बिहार से लेकर तमिलनाडू तक में पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां पिता की बेनामी संपत्ति पर राज कर रही है। तमिलनाडू के पूर्व सीएम की बेटी कनिमोझी तो जेल तक हो आई हैं। वहीं बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती भी जेल जाने की कगार पर है, जिसके पीछे है मुख्यमंत्री रहते हुए कमाया गया कालाधन और उसका उपयोग। लेकिन इस सबके बीच देश के सबसे बड़ी आबादी के सीएम योगी आदित्यनाथ की बहन और परिवार आज भी साधारण तरीके से जीवन जी रहे हैं। देवभूमि के पौड़ी गढ़वाल जिले के नीलकंठ मंदिर का जहां योगी की 3 बहनों में सबसे छोटी बहन शशि मंदिर में प्रसाद और फूलों की माला बनाकर बेचती है। शशि अपने पति पूरण के साथ नीलकंठ मंदिर के पास पार्वती धाम में फूल प्रसाद माला की दुकान चलाती है और एक झोंपड़ी में अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रही है। झोपड़ी में बैठकर कोई भी धोखा खा सकता है कि क्या सच में यही योगी आदित्यनाथ की बहन है।
नीलकंठ मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर ऊपर पार्वती मंदिर के पास इनकी दुकान है। लेकिन योगी आदित्यनाथ की बहन यहां रहती है, ये कोई नहीं जानता है। शशि नहीं चाहती की किसी को पता चले की वो योगी आदित्यनाथ की छोटी बहन है।
योगी के सांसद बनने के बाद से नहीं हुई बात
शशि ने बताया कि उनकी शादी 1992 में गढ़वाल के रहने वाले पूरन से हो गई थी। शशि की शादी के तुरंत बाद योगी आदित्यनाथ उर्फ अजय बिष्ट घर छोड़कर चले गए। शशि ने कहा कि जब से योगी सांसद बने तब से लेकर अब तक उनकी भाई योगी से कोई बात नहीं हो पाई है। बचपन को याद कर भावुक होते हुए शशि ने बताया कि परिवार में सबकुछ बहुत बेहतर चल रहा था, 7 भाई-बहनों के साथ योगी भी पढ़ाई लिखाई और परिवार के कामों में बहुत समझदार थे।
27 सालों से कर रही भाई का इंतजार
शशि ने बताया कि वे ही योगी को स्कूल से लाने और ले जाने का काम करती थी। भाई के सीएम के बाद कई लोग पूछते आते हैं मजबूरन हमें मना करना पड़ता है कि मै उनकी बहन नहीं हूं। शशि ने कहा कि वह अपने परिवार में खुश हैं, बस दुख इस बात का है कि पिछले 27 सालों से वह भाई योगी और परिवार से नहीं मिल पाई हैं।
आखिर में बचपन की दिनों को याद करते हुए नम आंखों से योगी की बहन शशि ने कहा, बचपन में रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन वह अपने चारों भाइयों को सामने बैठाकर राखी बांधती थीं और उपहार के तौर पर अजय बिष्ट (योगी आदित्यनाथ) उनसे यही कहा करते थे कि अभी तो फिलहाल में कुछ नहीं कमा रहा हूं, लेकिन जब बड़ा हो जाऊंगा तो तुम्हें खूब सारे उपहार दूंगा।