400 से अधिक जुड़वा बच्चे, घर पर कोई दरवाजा नहीं, देखें भारत के सबसे विचित्र गांव
भारत में वैसे तो कई गांव हैं। लेकिन आज हम आपको कुछ अनोखे और अजीब गांवों के बारे में बताने जा रहे हैं। हर गांव की अपनी एक खास विशेषता है। कहीं 400 से ज्यादा जुड़वा बच्चे हैं तो कहीं गांव के सभी घरों में कोई दरवाजा ही नहीं है। तो चलिए एक-एक कर इन गांवों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
400 प्लस जुड़वा बच्चों वाला गांव
हम में से कई लोग जुड़वा बच्चों को तरसते हैं। घर से बाहर भी निकलों को इक्का दुक्का ही जुड़वा बच्चे देखने को मिलते हैं। लेकिन केरल के मलप्पुरम जिले का कोडिन्ही गांव ‘ट्विन टाउन’ के नाम से जाना जाता है। यहां जुड़वा बच्चों के पैदा होने की दर शायद पूरे इंडिया में सबसे ज्यादा है। इस गांव की आबादी 2000 प्लस है। लेकिन यहां जुड़वा बच्चे 400 से अधिक है। यह गांव केरल के कोच्चि से लगभग 150 किमी दूर स्थित है। मुस्लिम बहुल इस गांव के नाजार में निकॉन को कई हमशक्ल बच्चे देखने को मिल जाते हैं।
वह गांव जहां नहीं एक भी दरवाजा
जब भी कोई घर बनाता है तो उसमें सबसे पहले दरवाजा जरूर लगवाता है। इसके साथ ही कुछ लोग लॉक सिस्टम भी फिट करवाते हैं। ऐसा लोग अपने मकान की चोरों से सेफ़्टी के लिए करते हैं। लेकन महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के नेवासा तालुका में स्थित ‘शनि शिंगणापुर’ नाम के एक गांव के सभी घरों में कोई भी दरवाजा नहीं है। दरअसल यहां भगवान शनि की पांच फुट ऊंची प्रतिमा है। मान्यता है कि शनिदेव की यह मूर्ति ही सभी घरों की रक्षा करती है।
कहा जाता है कि 300 साल पहले भारी बारिश के बाद गाँववालों को काली चट्टान का एक विशाल स्लैब मिला था। फिर गांव के मुखिया के सपने में शनिदेव आए और मंदिर बनाने को कहा। बदले में गांव कि रक्षा करने का वचन भी दिया। मान्यता है कि यदि गांव में कोई किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाएगा तो वह शनिदेव का प्रकोप झेलेगा। इसलिए लोगों ने सुरक्षा के लिए दरवाजे नहीं लगवाए हैं।
करोड़पति गांव
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित हिवरे बाजार नाम का गांव भारत के सभी गांवों के मुकाबले धन धान्य में सबसे अमीर है। यहां 60 से अधिक लोग करोड़पति हैं। वहीं बाकी लखपति हैं। ये सभी पेशे से किसान है। 1972 में गांव गरीबी और सूखे का शिकार हो गया था। लेकिन 1990 में गांव के पोपटराव बागुजी पवार नामक ग्राम प्रधान की एंट्री हुई। उन्होंने अपने प्रयासों से गरीब गांव को एक धनी गांव में बदल दिया।
इंडिया का फर्स्ट ग्रीन गांव
भारत के नागालैंड राज्य में भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित खोनोमा गांव इंडिया का फर्स्ट ग्रीन गांव है। यहां आपको 700 साल पुरानी अंगामी बस्ती, पूरी तरह से सीढ़ीदार खेत, और चारों तरफ खूब हरियाली देखने को मिलती है। यह गांव आत्मनिर्भर भी है। यहां बहुत अच्छी खेती होती है। इस गांव ने प्राकृतिक आवास को बहुत सुंदरता से संरक्षित किया हुआ है। यहां की मिट्टी बहुत उपजाऊ है। वायु काफी शुद्ध है।
दो देशों में विभाजित गांव
नागालैंड में मोन जिले में लोंगवा गांव बड़ा अनोखा है। यह गांव दो देशों भारत-म्यांमार की सीमा के बीच बसा हुआ है। इस गांव के मुखिया का घर भारत-म्यांमार को विभाजती करती सीमा के बीच में बना है। ऐसे में इस घर का एक हिस्सा भारत में तो दूसरा म्यांमार में स्थित है। यहां के लोग खाना म्यांमार में खाते हैं तो सोते भारत में है। गांव में कोन्याक जनजाति के लोग रहते हैं।