‘आरक्षण’ पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला – OBC कोटे में लगाया कोटा, लेकिन इसमें एक पेंच फंसा दिया?
नई दिल्ली – मोदी सरकार ने आरक्षण को लेकर आज एक अहम फैसला किया है। आरक्षण के जरिये जरूरतमंदों को लाभ देने के लिए क्रीमीलेयर पॉलिसी में बदलाव किया गया है। मोदी सरकार ओबीसी में कोटे में कोटा बनाने की योजना बना रही है। केन्द्र सरकार ने आरक्षण कि सीमा को छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख क्रीमीलेयर (पिछड़े में अगड़े) कर दिया है। इस फैसले के आधार पर कयास लगाये जा रहे हैं कि मोदी सरकार आर्थिक रूप से संपन्न पिछड़ा वर्ग के लोगों को आरक्षण से दूर करना चाहती है। government increased limit of creamylayer in OBC.
आरक्षण से बाहर होंगे सुविधा संपन्न लोग
दरअसल, आरक्षण को जिस वजह से लागू किया गया था वो वर्तमान में पूरी होती नहीं दिख रही। नियम कुछ ऐसे हैं कि ओबीसी वर्ग में मुट्ठी भर परिवारों को ही बार-बार आरक्षण का लाभ मिल रहा है। सुविधा संपन्न होने के बावजूद ये ओबीसी परिवार आरक्षण की मलाई खाना नहीं छोड़ रहे हैं। ओबीसी वर्ग में ही ऐसे कई परिवार हैं जो पूरी तरह से सुविधा संपन्न हैं।
इसके बावजूद वो आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। वो अपने ही वर्ग के जरूरतमंदों का हक खा रहे हैं। इस वजह से ओबीसी वर्ग के कुछ लोगों को ही आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसे देखते हुए ही मोदी सरकार ने कोटे में कोटा बनाने की योजना बनाई है। इस फैसले से जो लोग पहले से आरक्षण का लाभ लेकर अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधार चुके हैं, अब वो आरक्षण का लाभ नहीं ले सकेंगे।
ओबीसी में क्रीमी लेयर की सीमा 8 लाख हुई
दरअसल, मोदी सरकार ने ओबीसी में क्रीमी लेयर की सीमा बढ़कर इसे 6 लाख से 8 लाख कर दी गई है। यानी ओबीसी कैटेगरी में जिन लोगों की सालाना आय 8 लाख रुपये है उन्हें अब इसका सीमा का फायदा मिलेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि ओबीसी में सब-कैटेगिरी बनाई जाएगी। जिसके लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा। यह आयोग ओबीसी कैटिगिरी में सब-कैटेगिरी बनाने के रास्ते तलाशेगा।
मोदी सरकार के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील साजन ने कहा है कि मोदी सरकार अंग्रेजों कि फुट-डालों, राज करों, की तर्ज पर ओबीसी को बांटकर राजनीति करना चाह रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार यादव और कुर्मी समाज को टारगेट कर रही है। इस आयोग के जरिए भी इन्हीं दोनों समाज को निशाना बनाया जाएगा।