आतंकी निकले मदरसे के टीचर, चला रहे थे जिहादी गतिविधियां, लोगों ने गुस्से में गिरा दिया मदरसा
असम के गोलपारा जिला में एक मदरसे को लेकर सनसनीखेज खबर सामने आई है। यहां रहने वाले स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस मदरसे में जिहादी गतिविधियों को संचालित किया जाता था। इतना ही नहीं इस मदरसे के पास एक मकान भी है। यहां दो बांग्लादेशी लोग रहते थे। वे भी इन जिहादी गतिविधियों में शामिल थे। यह मदरसा माटिया पुलिस स्टेशन के तहत आने वाले पाखिउरा चार में बना है।
जिहादी गतिविधियों के चलते लोगों ने गिराया मदरसा
मदरसे के आसपास रह रहे लोगों का दावा है कि इस परिसर का इस्तेमाल जिहादी गतिविधियों के लिए हो रहा था। ऐसे में इस बात से नाराज लोगों ने बीते मंगलवार (6 सितंबर) मदरसे और उसके पास बने मकान को गिरा दिया। मदरसे के पास बने मकान में रह रहे दोनों बांग्लादेशी नागरिक फिलहाल फरार हैं।
मदरसा परिसर में देश विरोधी गतिविधि को बढ़ावा देने का काम हो रहा था। इस राज से पर्दा तब उठा जब मदरसे के मौलवी जलालुद्दीन शेख की गिरफ्तारी हुई। वह शेख ही था जिसने कथित रूप से इन दोनों बांग्लादेशी नागरिकों को दारोगर अल्गा पाखिउरा चार मदरसे में बतौर टीचर नियुक्त किया था। इन बांग्लादेशी नागरिकों से संबंध के आरोप में ही शेख की गिरफ़्तारी हुई थी।
मदरसे में पढ़ाते थे बांग्लादेश के आतंकी
हैरत की बात ये है कि यह असम में ढहाया जाने वाला चौथा मदरसा है। इसे गिराने का काम स्थानीय लोगों ने अपनी स्वेच्छा से किया। वह इस मदरसे में होने वाली जिहादी गतिविधियों के प्रति बेहद नाराज थे। जो दो बांग्लादेशी नागरिक फरार हुए हैं उनके नाम अमीनुल इस्लाम उर्फ उस्मान उर्फ मेहदी हसन और जहांगीर अलोम है। यह दोनों ही भारतीय उपमहाद्वीप में एक्टिव अल कायदा के संगठन (AQIS)/अंसारुल बांग्ला टीम (ABT) के मेंबर हैं।
ग्वालपाड़ा के एसपी वीवी राकेश रेड्डी ने मीडिया से कहा कि इस मदरसे को तोड़ने में सरकार का कोई लेना देना नहीं है। यहां के लोकल लोगों ने खुद उसे तोड़ा है। वे खुद भी इस बात से दंग रह गए कि यहां जो लोग मदरसे में पढ़ाते थे वह जिहाड़ी थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह वे ऐसी जिहादी गतिविधियों को कभी कोई सपोर्ट नहीं देंगे।
पहले भी गिराए जा चुके हैं मदरसे
बताते चलें कि इसके पहले असं में ही बोंगाईगांव जिले के कबाईटरी पार्ट 4 गांव (Kabaitary Part-IV village) में बने एक मदरसे में ही ऐसा ही मामला सामने आया था। हालांकि इसे लोगों ने नहीं बल्कि असम सरकार ने ध्वस्त किया था। यह निर्णय मदरसे में AQIS/ABT से जुड़े इमाम और मदरसा शिक्षकों समेत 37 लोगों की गिरफ्तारी के बाद लिया गया था।