3 तलाक पर लड़कियों की राय लेने गयी इस महिला रिपोर्टर के साथ मुस्लिम युवकों ने ऐसे निकाला गुस्सा..
अलीगढ़: देश में हमेशा ही दो समुदायों के बीच तनाव रहा है। हालांकि दोनों ही समुदाय हमेशा से एक साथ मिलकर रहे भी हैं, लेकिन कुछ लोग अपना हित साधने के लिए इन दोनों समुदायों में हमेशा आग लगाने का काम करते हैं। कुछ दिनों से देश में तीन तलाक का मामला काफी गर्मा-गर्मी से चल रहा था। तीन तलाक की प्रथा के तहत कोई भी मुस्लिम पुरुष तीन बार तलाक-तलाक कहकर ही महिला को जब मन करता था तलाक दे देता था।
तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला:
मुस्लिम महिलाएँ बेबस थी। महिलाओं के अधिकारों का यह कानून हनन करता था। कुछ मुस्लिम समाज के पुरुष भी इस कानून के खिलाफ थे, जबकि ज्यादातर मुस्लिम पुरुष इसे जायज़ ठहरा रहे थे। हालांकि जो लोग इसके पक्ष में थे कल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन्हें बहुत ज्यादा निराशा हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कल तीन तलाक के मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए इसे नाजायज ठहरा दिया। अब देश में तीन तलाक का कानून ख़त्म हो गया है।
तीन तलाक पर फैसले से मुस्लिम संगठन और मुस्लिम पुरुष हैं काफी नाराज:
इससे जहाँ एक तरह मुस्लिम समाज की महिलाओं में ख़ुशी की लहर दौड़ रही है, वहीँ कुछ मुस्लिम संगठन और लोग सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से काफी नाजर दिखाई पड़ रहे हैं। वह अपनी नाराजगी अलग-अलग तरीकों से निकाल रहे हैं। कल इस मामले पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कुछ लड़कियों से उनकी राय लेने के लिए इंडिया टुडे की महिला रिपोर्टर इल्मा यूनिवर्सिटी गयी हुई थी। वहाँ उनके साथ जो हरकत मुस्लिम समाज के युवकों ने की, देखकर आपके होश उड़ जायेंगे।
युवक महिला पत्रकार से करने लगे बद्तमीजी:
इल्मा जब लड़कियों से तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में पूछ रही थी, तभी वहाँ कुछ युवक इकट्ठे हो गए। वह इल्मा को परेशान करने लगे और उसे सवाल पूछने से रोकने लगे। युवक बार-बार एक ही सवाल कर रहे थे कि क्या उसनें पीआरओ से इसकी परमिशन ली है। जब इल्मा ने कहा कि हाँ मैंने सभी जगहों से परमिशन ली है, उसके बाद भी युवकों ने इल्मा के साथ बदतमीजी करना नहीं बंद किया।
अपने ही समुदाय की महिलाओं के बराबरी के हक़ से खफा:
आप वीडियो में साफ़ तौर पर देख सकते हैं कि किस तरह से मुस्लिम समुदाय के कुछ युवक इकठ्ठा होकर तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी नाराजगी दिखा रहे हैं। इन युवकों को देखकर यही लगता है कि वह यह नहीं चाहते थे कि उनके समुदाय की महिलाओं को बराबरी का हक़ मिल सके। इस फैसले के बाद से उन्हें अब तलाक देने में काफी परेशानी होगी। अपनी मनमर्जी से तलाक देकर किसी से भी शादी नहीं रचा सकते हैं।