श्रीराम ही नहीं, ये राजा भी रावण को कर चुका है पराजित, बना लिया था अपना बंधक
लंकापति रावण को सभी जानते हैं। वे एक बेहद शक्तिशाली राजा थे। उनका श्रीराम से युद्ध जगजाहिर है। भगवान श्रीराम ने उन्हें पूरी वानर सेना के साथ मिलकर परिजित किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम से पहले रावण का मध्य प्रदेश के एक राजा से भी सामना हुआ था। इस राजा ने रावण को बंदी बना लिया था।
वह राजा जिसने रावण को बना लिया था बंदी
इस राजा का नाम कार्तवीर्य अर्जुन था। वे प्राचीन हैहय वंश के राजा थे। इनके बारे में महाभारत में भी पढ़ने को मिलता है। कार्तवीर्य अर्जुन प्राचीन माहिष्मति नगरी के राजा थे। यह जगह वर्तमान में मध्य प्रदेश के महेश्वर के नाम से जानी जाती है। कार्तवीर्य अर्जुन राजा कृतवीर्य के बेटे थे। उनका राज्य नर्मदा नदी के तट पर था। इसे उन्होंने कार्कोटक नाग से जीतकर बसाया था।
एक हजार भुजाओं का मिला था वरदान
कार्तवीर्य अर्जुन को लोग सहस्रबाहु अर्जुन भी कहकर पुकारते थे। मान्यताओं के अनुसार उनमें एक सहस्र (एक हजार) भुजाओं इतनी ताकत थी। कुछ मान्यताओं के अनुसार उन्हें एक हजार हाथों का वरदान मिला था। वहीं कुछ का मानना है कि उनके पास एक हजार अक्षौहिणी सेनाएं थी। इसलिए उन्हें सहस्रार्जुन के नाम से जाना जाने लगा। वह दत्तात्रेय के बहुत बड़े भक्त थे।
युद्ध में हुई थी रावण की हार
राजा कार्तवीर्य अर्जुन एक प्रतापी राजा थे। उनके वंश के राजाओं ने माहिष्मती की स्थापना की थी। माहिष्मती को प्राचीन काल में अनूप महाजनपद कहा जाता था। वर्तमान में इसे मध्य प्रदेश में निमाड़ कहा जाता है। रामायण काल में इसका नाम माहिष्मती था। माहिष्मती एक बेहद शक्तिशाली साम्राज्य था। उनकी शक्ति का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक बार उन्होंने लंकाधिपति रावण को बंदी तक बना लिया था।
शिवजी के आदेश पर हुए थे आजाद
कहते हैं राजा कार्तवीर्य अर्जुन का रावण से युद्ध हुआ था। उन्होंने रावण को युद्ध में पराजित कर लिया था। फिर उन्हें अपना बंदी भी बना लिया था। हालांकि रावण भगवान शिव के भक्त थे। उन्हीं के आदेश पर पुल्तस्य ऋषि ने रावण को राजा कार्तवीर्य अर्जुन की कैद से मुक्त करवाया था। इस घटना का जिक्र शास्त्रों में भी पढ़ने को मिलता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं की माने तो सहस्त्रबाहु नर्मदा नदी में स्त्रियों संग जल विहार कर रहे थे। ऐसे में उन्होंने अपनी हजार भुजाओं के बल से पूरी नर्मदा के जल का प्रवाह रोक लिया था। वहीं नर्मदा किनारे रावण का भी शिविर भ चल रहा था। नदी का पानी रुकने की वजह से शिविर में जल भराव होने लगा। रावण जब इसका कारण पता लगाने नर्मदा किनारे पहुंचे तो उनका सामना कार्तवीर्य अर्जुन से हुआ।
अब चुकी कार्तवीर्य अर्जुन को युद्ध में कभी ना हारने का वरदान प्राप्त था इसलिए रावण की हर हो गई। यह एक तरफा युद्ध था। कार्तवीर्य अर्जुन ने अपनी हजार भुजाओं से रावण को दबोच लिया था। फिर उसे अपनी राजधानी माहिष्मति ले जाकर कैदी बना लिया था।
रावण जिस क्षेत्र में बंधी बने थे वहाँ ओंकारेश्वर नाम का पवित्र स्थान भी है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर स्थापित है। ओंकारेश्वर को पहले मान्धाता नगरी के नाम से भी जाना जाता था। कहा जाता है कि इसकी स्थापना इक्ष्वाकु वंश के प्रतापी राजा मुचुकुन्द ने अपने पूर्वज मान्धाता के नाम पर की थी।