जानें आज का गुड लक: इस तरह से की गयी पूजा से ख़त्म होती है जीवन की सभी परेशानियाँ एवं बाधाएं
आज मंगलवार के दिन दिनांक 22.08.2017 को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकम पड़ रही है। इस दिन सिंदूरी विनायक अर्थात भगवान गणेश का पूजन किया जायेगा। भारत के कई हिस्सों में आज के दिन को भगवान हनुमान का दिन माना जाता है, तथा कई हिस्सों में मंगलवार को भगवान गणेश का दिन माना जाता है और उनकी इस दिन पूजा की जाती है।
गणेश पूजा से होती है संतान सुख की प्राप्ति:
भगवान गणेश की पूजा से जीवन की सभी परेशानियाँ, विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार गणेश जी की पूजा संतान प्राप्ति, शिक्षा और भाग्य जगाने के लिए सर्वोत्तम मानी गयी है। ऐसी मान्यता है कि अगर मंगलवार के दिन घर में भगवान गणेश की पूजा की जाती है तो घर में सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्र नारदपुराण के अनुसार गणेश उपासना के साथ इनके 12 नाम के स्तोत्र अर्थात संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं का पाठ करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।
पूजन विधि:
आज के दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रह जाती है। सभी बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं। सिंदूरी गणेश की जी विधिवत पूजा करें। सर्वप्रथम चमेली के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद गूगल से धूप करें और लाल फूल अर्पित करें। सिंदूर चढ़ाकर गुड़ का भोग लगायें। इसके उपरांत लाल चन्दन की माला से विशिष्ट मंत्र का जाप करने के बाद संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं का 8 बार पाठ करें। इसके बाद चढ़ाए हुए गुड़ को किसी गाय को खिला दें।
विशेष मंत्र:
ॐ वं विघ्न-नायकाय नमः॥
पूजन मुहूर्त:
दिन 11:46 से दिन 12:26 तक अथवा शाम 17:30 से शाम 18:30 तक।
अभिजीत मुहूर्त:
दिन 11:57 से दिन 12:49 तक।
अमृत काल:
दिन 12:26 से दिन 13:57 तक।
वर्जित महूर्त:
दिशाशूल – उत्तर। राहुकाल वास – पश्चिम। अतः उत्तर व पश्चिम दिशा की यात्रा टालें।
शुभ रंग:
सिंदूरी।
शुभ दिशा:
ईशान।
शुभ समय:
शाम 16:45 से शाम 18:45 तक।
शुभ मंत्र:
वं वक्रतुण्डाय हुं॥
शुभ टिप्स:
जीवन के सभी संकटों के नाश के लिए आज के दिन गणेश मंदिर में लौंग लगा लड्डू चढ़ाएं।
जन्मदिन के लिए शुभ:
शुद्ध घी में सिंदूर मिलाकर भगवान गणपती पर चढ़ाने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
एनिवर्सरी के लिए शुभ:
अगर पति-पत्नी के बीच रिश्ते में कड़वाहट है तो आज के दिन दंपति गणेश मंदिर में दो लड्डू चढ़ाये, इससे दोनों के आपसी संबंध मधुर होंगे।
नारद पुराण अंतर्गत संकष्टनाशनं गणेश स्तोत्रं
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम। भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम। तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च। सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम। एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:। न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्। पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्। संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत। तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥