आज सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का करें ये विधान, मिलेगा बहुत सारा लाभ
हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसमें पेड़-पौधे और पशु पक्षियों को भी विशेष महत्व दिया गया है। इस धर्म में पेड़ की पूजा देवताओं की तरह की जाती है। आज के दिन सोमवती अमावस्या पड़ रही है, इसे सनातन धर्म में सर्वोपरीय माना गया है। सोमवती अमावस्या को पोला, पिथौरी, पीपल या अश्वत्थ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि साल के किसी भी महीने में सोमवार के दिन जो भी अमावस्या पड़ती है, उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है।
सोमवार के दिन ही हिन्दू धर्म में क्या महत्ता होती है, यह किसी को बताने की जरुरत नहीं है। सोमवार का दिन जगत के रचयिता भगवान शंकर को समर्पित है। आज के दिन सभी शिवभक्त भगवान शिव की आराधना करके उन्हें खुश करते हैं और मनचाहा फल प्राप्त करते हैं। सोमवार के दिन की गयी पूजा का विशेष फल भी प्राप्त होता है। आज के दिन देश के सभी शिवालयों में शिवभक्तों का ताँता लगा रहता है।
निवास करते हैं तैंतीस करोड़ देवी-देवता:
अमावस्या का दिन पितृओं के नाम समर्पित होता है। इस दिन पितृओं की पूजा-अर्चना की जाती है। हिन्दू धर्म में पीपल ही एक ऐसा वृक्ष है, जिसे देव वृक्ष की संज्ञा दी गयी हैऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में स्वयं भगवान शंकर, जगतपिता ब्रह्मा, और जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ-साथ तैंतीस करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी देववृक्ष पीपल से पितृओं की मृत आत्मा को भी शांति मिलती है।
भगवान श्रीकृष्ण वनस्पति जगत में हैं अस्वत्थ के रूप में:
ऐसा भी माना जाता है कि पीपल के पेड़ पर स्वयं शनिदेव और यम के सतज-साथ भगवान हनुमान भी विराजमान रहते हैं। ऋग्वेद में में अश्वत्थ को पीपल कहा गया है। हिन्दू उपनिषदों में पीपल को भगवान विष्णु का स्वरुप माना गया है। भगवद्गीता के 10वें अध्याय में स्वयं भगवान कृष्ण ने खुद को वनस्पति जगत में अश्वत्थ माना है। पद्मपुराण में एक ऐसी कथा है कि देवी पार्वती के श्राप की वजह से अग्निदेव पृथ्वी पर अश्वत्थ के रूप में प्रकट हुए थे।
बनी रहती है परिवार में सुख-शांति:
हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि सोमवती अमावस्य के दिन मौन व्रत धारण करने से सैकड़ों गायों को दान करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में इसे अस्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शास्त्रों के अनुसार पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा का विधान है। आज के दिन यम, शनि, लक्ष्मी, भगवान विष्णु, भगवान शंकर और हनुमान जी की पूजा का विधान है। आज के दिन किये गए विशेष पूजन से पितृदोषों और शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है। साथ ही परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है।