नेपाल की चौपाड़ी प्रथा जिसमें पीरियड्स के दौरान लड़कियों से होता है जानवरों जैसा व्यवहार
लड़कियों और महिलाओं को आने वाले पीरियड्स यानि कि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है। लेकिन कुछ समुदाय के लोग इसे अंधविश्वास से जोड़ देते हैं। यहां तक कि पीरियड्स (Period Custom) के दौरान महिलाओं के साथ अजीब व्यवहार भी करते हैं। ऐसे में आज हम आपको नेपाल में पीरियड्स से जुड़ी चौपाड़ी प्रथा (Chhaupadi Tradition) के बारे में बताने जा रहे हैं।
नेपाल में पीरियड्स के दौरान लड़कियों संग होता है ऐसा व्यवहार
जब भी किसी नेपाली लड़कियों को पीरियड्स आता है तो उन्हें अलग थलग रखा जाता है। उन्हें रखने के लिए एक सेपरेट झोपड़ी या जानवरों को रखे जाने वाले बाड़े का इस्तेमाल किया जाता है। इस दौरान यह लड़कियां किसी से भी नहीं मिल सकती है। इन्हें मर्द एवं भगवान की मूर्तियों को छूने की इजाजत नहीं होती है।
यह सारी चीजें चौपाड़ी प्रथा के अंतर्गत की जाती है। इसके नेपाल के ही अलग-अलग राज्यों में कई सारे नाम है। जैसे अछाम में इसे ‘चौपड़ी’, बझांग जिले में ‘चौकुल्ला’ या ‘चौकुडी’, ददेलधुरा, बैताडी और दारचुला में छुए और बहिरहुनु के नाम से जाना जाता है। चौपाड़ी शब्द की उत्पति नेपाल के पश्चिमी भाग से हुई है।
भगवान इंद्र से है पीरियड्स के अंधविश्वास का संबंध
चौपाड़ी प्रथा की शुरुआत एक अंधविश्वास से जुड़ी कहानी से हुई। इस कहानी के अनुसार भगवान इंद्र ने इस पीरियड्स को श्राप के रूप में बनाया था। यह श्राप हर महीने महिलाओं को लगता है। माना जाता है कि इस दौरान महिलाएं अशुद्ध हो जाती है। यदि वह किसी पेड़ को छू ले तो वह फल देना बंद कर देता है। किसी मर्द को छू ले तो उसे रोग हो जाते हैं।
मान्यता है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं के ऊपर दुर्भाग्य रहता है। इसलिए उन्हें अलग थलग रखा जाता है ताकि उनका ये बुरा भाग्य बाकी लोगों का बुरा न कर दे। इस अंधविश्वास के चलते कई लोग पीरियड्स में महिलाओं संग बहुत बुरा व्यवहार भी करते हैं। उन्हें डर होता है कि पीरियड्स में महिलाओं को पास रखने से परिवार की सेहत बिगड़ जाएगी।
नेपाल सरकार कर चुकी है प्रथा को बैन
पीरियड्स में महिलाओं संग होने वाले इस दुर्व्यवहार को देखते हुए नेपाल सरकार ने इस चौपाड़ी प्रथा पर साल 2005 में बैन लगा दिया था। वहीं 2017 में एक कानून पारित हुआ। इसके तहत यदि पीरियड्स में कोई महिलाओं से बुरा व्यवहार करता है तो उसे 3 महीने की जेल होगी। वहीं 3000 नेपाली रूपये बतौर जुर्माना भी देने होंगे।
पीरियड्स से जुड़े इन रिवाजों पर भी डाल लें एक नजर
वैसे भारत में भी पीरियड्स से जुड़ी कई रस्में और बंधन हैं। हालांकि इन पाबंदियों को कुछ परिवार ही लगते हैं। जैसे तमिलनाडु में पीरियड्स से जुड़े इस रिवाज को ‘मंजल निरातु विज़ा’के नाम से जाना जाता है। वहीं असम में इसे ‘तुलोनिया बिया’ रिवाज कहते हैं।
इस रिवाज के तहत लड़कियों को 7 दिनों तक पूजा घर, किचन और अन्य लोगों से दूर रखा जाता है। पहले के जमाने में तो पीरियड्स के कपड़े को फेंका भी नहीं जाता था। इसे दफनाया दिया जाता था। मान्यता थी कि इस कपड़े से बुरी आत्माएं आकर्षित होती हैं। वहीं कोई इस कपड़े का इस्तेमाल कर महिलाओं पर काला जादू कर सकता है।