Breaking news

मक्का के काबा आए सऊदी अरब के प्रिंस,निभाई रस्मे, दिखाया अंदर का दुर्लभ नज़ारा

हर मुसलमान की दिली ख्वाहिश होती है कि वह एक दिन सऊदी अरब के मक्का शहर जाए और वहाँ काबा छूए। सऊदी गवर्नमेंट इस काबा का बेहद खास ख्याल रखती है। यहां हर साल काबा का गुस्ल (साफ-सफाई) की परंपरा है। इस काबा की देखरेख का जायजा लेने यहां समय-समय पर किंग सलमान समेत उनके शाही परिवार के लोग और अन्य बड़े अधिकारी आते रहते हैं। 16 अगस्त, मंगलवार को खाना-ए-काबा के गुस्ल (साफ-सफाई) की रस्म का कार्यक्रम रखा गया। इसमें किंग सलमान की तरफ से क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने भाग लिया।

सऊदी प्रिंस ने किया काबा का गुस्ल

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सबसे पहले मक्का की बड़ी मस्जिद आए। यहां उन्होंने काबा के गुस्ल करने की रस्म को निभाया। उनका साथ सऊदी सरकार के कई बड़े लोगों ने दिया। इन सभी ने बाद में जमात संग नमाज अदा की। इस दौरान काबा के अंदर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान एक विशेष अंदाज में साफ-सफाई करते नजर आए।

उन्होंने एक खास कपड़े से काबा की दीवारों की सफाई की। यह कपड़ा एक विशेष प्रकार की खुशबू में डुबोया गया था। इसके अलावा काबे में मौजूद फर्श की जमजम (पवित्र जल) के पानी से धोया गया। इसमें भी एक विशेष प्रकार के गुलाबों वाला इत्र मिलाया गया था। इसे धोने के बाद प्रिंस ने अपने हाथों और खजूर के पेड़ के पत्तों से फर्श को क्लीन किया।

हर साल निभाई जाती है ये रस्म

बताते चलें कि काबे को प्रत्येक वर्ष में एक बार गुस्ल कराया जाता है। यह एक ऐसा पुराना रिवाज है जिसे पैगंबर मोहम्मद ने सदियों पहले शुरू किया था। अब इस्लाम इसे आज तक मानता है। सऊदी में कोई भी राजा या प्रिंस बन जाए वह प्रत्येक वर्ष काबे का गुस्ल आयोजित करवाता है।

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर काबे के अंदर क्या होता है? बता दें कि इसमें सामान्यतः सिर्फ सऊदी के शाही परिवार या उनके आदेश पर भेजे गए लोगों को ही जाने कि अनुमति होती है। हालांकि कुछ विशेष मामलों में बाहरी लोगों को भी अंदर जाने का अवसर मिल चुका है। जैसे अक्टूबर साल 1998 में इस्लामिक सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका के संबंध रखने वाले डॉक्टर मुजम्मिल सिद्दीकी काबे के अंदर गए थे।

ऐसा होता है काबे के अंदर का नजारा

डॉक्टर मुजम्मिल जब काबे से बाहर आए तो उन्होंने दुनिया को अंदर के नजारे से रूबरू कराया। उन्होंने जो चीजें बताई वह लोगों की कल्पना से भी परे थी। साउंड विजन वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा “काबा अंदर से काफी बड़ा है। इसमें एकसाथ 50 लोग आराम से बैठ सकते हैं। यहां लाइट नहीं है। दीवारों और फ़रशों पर कीमती और नायाब पत्थर लगे हुए हैं। ये हमेशा चमकते रहते हैं। काबा में कोई खुदकी भी नहीं है। इसमें प्रवेश करने के लिए बस एक ही दरवाजा है।

जब कोरोना महामारी का दौरा आया था तो सऊदी सरकार ने काबा को छूने पर बैन लगा दिया था। साथ ही लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने की हिदायत दी गई थी। तब वैसे तो अधिक लोग हज या उमरा के लिए उपस्थित नहीं थे, लेकिन फिर भी सऊदी सरकार किसी भी प्रकार का रिस्क लेना पसंद नहीं कर रही थी।

अब कोरोना के जाने के बाद एक बार फिर सरकार की तरफ से कुछ दिनों पहले यह बैन हटा दिया गया है। ऐसे में लोगों को एक बार फिर से काबा के अल-हजर अल-असवाद (काले पत्थर) को छूने और चूमने का मौका मिलेगा।

Back to top button