जहरीले झाग की चपेट में एक बार फिर से बेंगलुरु, लोगों का जीना हुआ मुश्किल..देखें तस्वीरें
नई दिल्ली: लगातार इंसान अपने हितों को पूरा करने के लिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ इस हद तक बढ़ गया है कि उसका खामियाजा इंसान को भुगतना पड़ रहा है। आये दिन प्रकृति की मार इंसान झेल रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ का यह सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है।
प्रकृति के साथ खिलवाड़ का भयावह नतीजा सामने:
आप तो जानते ही हैं कि प्रकृति की बदौलत ही इस पृथ्वी पर जीवन संभव हो सका है, ऐसे में अगर इसके साथ खिलवाड़ किया जायेगा तो इसका नतीजा भयानक हो सकता है। लगातार बढ़ते प्रदूषण की वजह से ग्लेशियर पिघलने शुरू हो गए हैं। पहले की तुलना में गर्मी भी बहुत बढ़ गयी है। धीरे-धीरे पृथ्वी आग के गोले में तब्दील होती जा रही है। बाढ़, सूखा, भूकंप जैसी भयानक प्राकृतिक घटनाएँ देखने को मिल रही हैं।
साँस लेने में हो रही है लोगों को परेशानी:
हाल ही में बेंगुलुरु की बेलंदूर झील से एक बार फिर जहरीला झाग निकलना शुरू हो गया है। सोमवार को शहर में भारी वर्षा हुई, इस वजह से झील की हालत काफी बिगड़ गयी। सोशल मीडिया पर इस समय बेंगलुरु के जहरीले झाग की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं। सड़क पर चलने वाली गाड़ियाँ झाग से लिपटी हुई दिखाई पड़ रही हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस झील में कभी-कभी आग भी लग जाती है। इस जहरीले झाग की वजह से लोगों को साँस लेने में परेशानी, त्वचा में जलन और भयानक दुर्गन्ध की परेशानी झेलनी पड़ रही है।
प्रदूषण की वजह से पिछले कई सालों से निकल रहा है झाग:
मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने इसका संज्ञान लिया है। राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि झील से झाग निकलने की समस्या को पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 2 साल का वक़्त लग जायेगा। इस बार अगस्त में बेंगलुरु में पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। बेलंदूर झील बेंगलुरु की 262 झीलों में से एक सबसे बड़ी झील है। यह झील लगभग 1000 एकड़ में फैली हुई है। प्रदूषण की वजह से इस झील से पिछले कई सालों से झाग निकल रहा है।
झील में जैम गयी है अपशिष्ट पदार्थों की मोटी परत:
आपको बता दें बेलंदूर झील के आस-पास बसे आवासीय इलाकों और सभी औद्योगिक इकाइयों के असंशोधित सीवेज और अन्य खतरनाक केमिकल झील में ही जाते हैं। लम्बे समय से झील में जमा होने की वजह से इन अपशिष्टों की एक मोटी परत जम गयी है। झील में अमोनिया, फास्फेट और कम घुलनशील ऑक्सीजन जैसे प्रदूषक शामिल हैं। इन रसायनों के आपस में क्रिया करने की वजह से ही झील में जहरीला झाग बनता है। जो बुलबुले के रूप में सतह पर आ जाता है।