हिजबुल मुजाहिदीन के विदेशी आतंकी संगठन घोषित होने से छलका पाकिस्तान का दर्द
इस्लामाबाद: पाकिस्तान आतंकियों को संरक्षण प्रदान करता है, यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। हालांकि वह कभी भी प्रत्यक्ष रूप से यह नहीं स्वीकार करता है कि वह आतंकियों को संरक्षण देने का काम करता है। केवल यही नहीं वह आतंक को फैलाने के लिए फंड भी देता है। कश्मीर की शांति भंग करने के लिए यहाँ के अलगाववादी संगठनों को पूरी आर्थिक मदद पाकिस्तान की तरफ से की जाती है।
अमेरिका के फैसले से हुआ है बहुत ज्यादा दुःख:
आज पाकिस्तान ने कहा कि कश्मीरी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर देने के अमेरिका के फैसले से उसे बहुत ज्यादा दुःख हुआ है। अमेरिका का यह कदम पूरी तरह से नाजायज है। आपको बता दें अमेरिका ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन सैय्यद सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लगभग 2 महीने बाद ही कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन हिजबुल को विदेशी आतंकी समूह घोषित कर दिया।
अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले संगठन को आतंकी संगठन घोषित करना गलत:
विदेशी कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने अपने यहाँ साप्ताहिक संवाददाता सम्मलेन में कहा कि, “कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करने वाले लोगों या संगठन को आतंकवादी घोषित करना पूरी तरह से गलत है।“ उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि कश्मीरियों के 70 साल के संघर्ष को अमेरिका ने यह फैसला लेते वक़्त संज्ञान में नहीं लिया।
जकारिया कश्मीरी जनता के संघर्ष को पाकिस्तान का नैतिक, कुटनीतिक और राजनीतिक समर्थन बताया है। हिजबुल का गठन 1989 में हुआ था। जम्मू कश्मीर में सक्रिय सबसे पुराने और बड़े आतंकी संगठनों में यह प्रथम है। जम्मू-कश्मीर में हुए कई आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस आतंकी संगठन ने ली है। जब जकारिया से इस बारे में पूछा गया कि क्या वह इस मामले को अमेरिका के साथ उठाएगा तो जकारिया ने अपना जवाब दिया।
कश्मीर का एकमात्र समाधान निष्पक्ष और स्वतंत्र जनमत संग्रह है:
जकारिया ने कहा कि जब भी दोनों पक्षों की बैठक होगी, हम अपनी तरफ से सारी परेशानियाँ सामने रखेंगे। जकारिया ने यह भी कहा कि पीएम मोदी का यह बयान ना तो गोली और ना ही गाली, पाकिस्तान के इस रुख की पुष्टि करता है कि कश्मीर का एकमात्र समाधान निष्पक्ष और स्वतंत्र जनमत संग्रह से है। उन्होंने भारत से यह अनुरोध किया कि कश्मीर में हुए मानवाधिकार के उलंघन की जाँच के लिए संयुक्त राष्ट्र के तथ्यान्वेषी मिशन को अनुमति दे।