बड़ा चमत्कारी है ये शिव मंदिर, भक्तों को दर्शन देकर समुद्र की गोद में समा जाते हैं भोलेनाथ
इन दिनों सावन का महिना चल रहा है। हर कोई शिव भक्ति में डूबा हुआ है। सभी शिव मंदिरों में इस समय बहुत भीड़ चल रही है। भारत में सबसे अधिक मंदिर भी भोलेनाथ के ही हैं। इनमें से कुछ मंदिर तो बड़े अनोखे और चमत्कारी भी हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे शिव मंदिर के दर्शन कराने जा रहे हैं। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां दिनभर में सिर्फ दो बार ही शिवजी भक्तों को दर्शन देने आते हैं। बाकी के समय पूरा मंदिर जलमग्न रहता है।
150 साल पुराना है स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर
दरअसल हम यहां जिस मंदिर की बात कर रहे हैं उसका नाम स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर (Stambheshwar Mahadev Temple) है। ये मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर से करीब 175KM की दूरी पर जंबूसर के कवि कंबोई नामक गांव में स्थित है। गांधीनगर से यहां तक पहुँचने में आपको लगभग चार घंटे का समय लग जाता है। वैसे आप चाहे तो वडोदरा से भी कंबोई पहुंच सकते हैं।
वडोदरा तो आप किसी भी बस या ट्रेन में बैठकर पहुंच सकते हैं। लेकिन यहां से कवि कंबोई पहुँचने के लिए आपको टैक्सी करनी पड़ेगी। आप चाहे तो भरूच और भावनगर जैसे शहरों से सड़क मार्ग द्वारा भी यहां पहुंच सकते हैं। वडोदरा से कवि कंबोई 78 किमी दूर है। इस मंदिर के चारों ओर अरब सागर और खंभात की खाड़ी है। मंदिर की उम्र लगभग 150 साल है। इस मंदिर का चमत्कार देखने के लिए भक्तों को सुबह से लेकर रात तक रुकना पड़ता है।
पानी में पूरी तरह जलमग्न हो जाता है मंदिर
इसकी वजह ये है कि यह मंदिर पानी में पूरी तरह से डूब जाता है। ऐसा दिन में दो बार होता है। ऐसा होने की वजह प्रकृति से ही जुड़ी है। जब समुद्र का वाटर लेवल बढ़ता है तो मंदिर डूब जाता है। वहीं पानी का स्तर कम होते ही भोलेनाथ के दर्शन हो जाते हैं। यह प्रक्रिया दिन में दो बार सुबह और शाम होती है। भक्तों के अनुसार समुद्र भी शिवजी का इस तरह अभिषेक करता है।
मंदिर के पीछे है पौराणिक कहानी
इस मंदिर के निर्माण के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। शिवपुराण के मुताबिक ताड़कासुर नाम का एक राक्षस था। उसने अपनी तपस्या से शिवजी को प्रसन्न कर लिया था। बदले में उसने वरदान मांगा कि मेरा वध शिव पुत्र के अलावा कोई नहीं कर सके। और उस पुत्र की आयु सिर्फ 6 दिन हो। इस वरदान के बाद ताड़कासुर तबाही मचाने लगा। ऐसे में देवता और ऋषि मुनि मदद की गुहार लेकर शिवजी के पास गए।
शिवजी ने श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय ने जन्म दिया। इसके बाद कार्तिकेय ने राक्षस का वध कर दिया। हालांकि वह यह जानकर दुखी हुआ कि वह राक्षस एक शिव भक्त था। ऐसे में उसे भगवान विष्णु ने प्रायश्चित करने का अवसर दिया। उन्होंने कार्तिकेय को सलाह दी कि जहां तुमने ताड़कासुर का वध किया है वहां शिवलिंग की स्थापना कर दो। और ऐसे स्तंभेश्वर मंदिर की स्थापना हुई।
यहां घूमना न भूलें
वैसे आप स्तंभेश्वर मंदिर तक जा ही रहे हैं तो वडोदरा में सयाजी बाग वडोदरा संग्रहालय, सूरसागर तलाव और एमएस विश्वविद्यालय जैसी सुंदर जगहें भी देख सकते हैं। यहां एल्युमिनियम शीट से बना ईएमई मंदिर (EME temple) देखने लायक और दिलचस्प चीज है।