शेर जंगल का राजा है, फिर भी बाघ को राष्ट्रीय पशु क्यों बना दिया, वजह दिलचस्प है
शेर जंगल का राजा होता है। लेकिन फिर भी भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ यानी टाइगर है। आपको जान हैरानी होगी कि एक जमाने में शेर भारत का राष्ट्रीय पशु हुआ करता था। लेकिन फिर यह दर्जा टाइगर को मिल गया। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? चलिए जानते हैं।
बाघ से पहले शेर था राष्ट्रीय पशु
बीते 50 सालों से टाइगर के पास राष्ट्रीय पशु का खिताब मौजूद है। यह खिताब उसे 1972 में मिला था। हालांकि इससे पहले 1969 में वन्य जीव बोर्ड द्वारा शेर को देश का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था।
2015 में फिर से कुछ लोग शेर को राष्ट्रीय पशु घोषित करवाने का प्रयास कर रहे थे। झारखंड से राज्यसभा सांसद परिमल नथवनी ने केंद्र सरकार को इसके लिए एक प्रस्ताव भी भेजा था। उनका प्रस्ताव पर्यावरण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ को भेजा गया था। हालांकि ये प्रस्ताव कभी आगे नहीं बड़ा।
शहर को राष्ट्रीय पशु बनाने वाले विशेषज्ञों का कहना था कि शेर हमेशा से भारत की खास पहचान रहा है। भारत के अशोक स्तंभ में भी शेर दिखाई देते हैं। पहले ये शेर गुजरात, हरियाणा, दिल्ली से लेकर झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तक फैले हुए थे।
लेकिन फिर रहवासी क्षेत्रों के बढ़ने और शिकारियों के एक्टिव होने से इनके ठिकाने सिमटते चले गए। वर्तमान में ये अब सिर्फ गुजरात के गिरवन में ही देखने को मिलते हैं। बाकी राज्यों में इनके दर्शन को चिड़िया घर जाना पड़ता है।
2015 में जब शेर को फिर से राष्ट्रीय पशु बनाने की मांग की गई तो बहुत से संगठनों ने इसका विरोध कर सरकार से ऐसे किसी प्रस्ताव को तुरंत रद्द करने की मांग की थी। शेर से बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु बनाने के पीछे भी एक खास वजह थी।
इस कारण टाइगर बना राष्ट्रीय पशु
रॉयल बंगाल टाइग को पूरे विश्व में बड़ी अहमियत दी जाती है। एक जमाने में यह टाइगर विलुप्त होने की कगार पर आ गए थे। फिर इन्हें संरक्षित श्रेणी में डाला गया। धीरे-धीरे इनकी आबादी बढ़ने लगी। अब स्थिति यह है कि टाइगर भारत में कुल 16 राज्यों में मौजूद हैं।
बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के पीछे उद्देश्य भी उसे बचाना था। टाइगर को राष्ट्रीय पशु का दर्जा मिलने के बाद उसकी आबादी में काफी इजाफा देखने को मिला है। मध्य प्रदेश को तो टाइगर स्टेट के नाम से भी जाना जाता है।
बताते चलें कि बिल्लियों की कुल 36 से अधिक प्रजातियां होती है। इनमें बंगाल टाइगर सबसे बड़ी बिल्ली मानी जाती है। यह साइज में शेर से भी बड़ी हो सकती है। यह झुंड में नहीं बल्कि अकेले शान से रहना पसंद करते हैं।
एक जमाना था जब राजा महाराजा शेर और टाइगर का शिकार करना अपनी शान समझते थे। लोग बाघ को उसकी सुंदर खाल के लिए मारते थे। हालांकि सरकार की सख्ती और बाघ को मिले संरक्षण के बाद यह चीजें बंद हो गई है।