संजय की नानी से 3 मर्दों ने की शादी, कोठों पर सजाती थी महफ़िल, बनी बॉलीवुड की पहली लेडी संगीतकार
गुजरे दौर की दिवंगत अदाकारा नरगिस की मां और बॉलीवुड सुपरस्टार संजय दत्त की नानी जद्दनबाई को हिंदी सिनेमा की पहली महिला संगीतकार कहा जाता है. वे गायिका भी थीं और कोठों पर गाया करती थीं. बाद में उन्हें फ़िल्मी दुनिया रास आई और फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने अपना एक अलग मुकाम हासिल किया.
जद्दन बाई की मां का नाम दलीपा बाई था. दलीपा प्रयागराज के एक कोठे पर एक मशहूर तवायफ थीं. कोठे पर ही जद्दन का पालन पोषण हुआ. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जद्दन का जन्म साल 1892 में हुआ था. जद्दन को लेकर कहा जाता है कि वे इतना सुरीला गाती थी कि राजा और नवाब भी उनके दीवाने हो जाया करते थे.
जद्दन बाई गायिका और संगीतकार होने के साथ ही लेखिका, डायरेक्टर और एक्ट्रेस भी थी. उन्होंने कुछ फिल्मों की कहानी लिखी. अभिनय भी किया और फिल्मों का निर्देशन भी. उन्होंने वाराणसी के कोठे से लकर मुंबई तक का शानदार सफ़र तय किया और हिंदी सिनेमा की पहली महिला संगीतकार बनी. जद्दन भारतीय सिनेमा के अग्रदूतों में से एक थी.
जद्दन बाई का पूरा नाम जद्दन बाई हुसैन था. कोठे पर पली बढ़ी जद्दन ने कोठे से ही गाने की शुरुआत की. यहां उस समय ठुमरी और गजलें सुनने को मिलती थी. जद्दन अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी चर्चा में रही. उन्होंने एक दो नहीं बल्कि तीन-तीन शादी की. दो हिंदू तो उनके लिए इस्लाम स्वीकार कर मुस्लिम बन गए थे.
जद्दन बाई की पहली शादी बिजनेसमैन नरोत्तम दास से हुई थी. जद्दन के लिए नरोत्तम दास मुस्लिम बन गए थे और उनसे ब्याह रचा लिया. शादी के बाद दोनों एक बेटे के माता-पिता बने. उसका नाम रखा गया अख्तर हुसैन. लेकिन बेटे के जन्म के बाद जद्दन बाई को छोड़कर नरोत्तम दास चले गए और फिर नहीं आए.
फिर कोठे के हारमोनियम वादक से की दूसरी शादी…
जद्दन बाई ने फिर दूसरी शादी की मास्टर उस्ताद इरशाद मीर खान से. मास्टर उस्ताद इरशाद मीर खान कोठे पर हारमोनियम बजाते थे. शादी के बाद दोनों एक बेटे के माता-पिता बने. बेटे का नाम रखा गया अनवर हुसैन. हालांकि जद्दन को इस शादी में भी दुःख दर्द झेलने पड़े. दोनों का रिश्ता लंबा नहीं चला और दोनों अलग हो गए.
जद्दन किसी कारणवश वाराणसी छोड़कर कोलकाता आ गई. यहां उनकी आंखें मोहन बाबू संग लड़ी. मोहन बाबू एक सम्पन्न परिवार से थे. एक बार वे जद्दन के कोठे पर आए. यहां वे जद्दन पर फ़िदा हो गए. जद्दन ने मोहन से कहा कि जाओ पहले अपने परिवार को जाकर बताओ कि तुम एक मुस्लिम तवायफ से शादी करना चाहते हो. फिर चार साल बाद मोहन बाबू लौटे.
मोहन बाबू अपना घर-परवार सब कुछ छोड़कर जद्दन के लिए आ गए. यह बात जद्दन को बहुत पसंद आई. फिर उन्होंने मोहन बाबू से तीसरी शादी कर ली. मोहन बाबू हिंदू से मुस्लिम बन गए. बता दें कि नरगिस जद्दन बाई और मोहन बाबू की संतान थीं.
जद्दन अब अपनी निजी जिंदगी में खुश थी और उनकी पेशेवर जिंदगी भी काफी अच्छी चल रही थी. वे काफी आगे बढ़ चुकी थी. लोग उनके गानों को खूब पसंद करते थे. संगीत की शिक्षा उन्होंने कई लोगों से ली. देश के अलग अलग हिस्सों में वे महफ़िलों में गाने लगी. राजा, महाराजा, नवाब उनके गानों पर फ़िदा हो जाते थे और बदले में उन्हें सोने चांदी के आभूषण भी दे देते थे.
साल 1933 में जद्दन अभिनेत्री बन गई. उन्होंने इस दौरान फिल्म गोपीचंद में हीरो की मां का किरदार निभाया. उन्होंने और भी कई फिल्मों में काम किया. वहीं नरगिस को अभिनेत्री बनाने में उनके माता-पिता दोनों का बड़ा योगदान रहा. एक अभिनेत्री, गायिका, संगीतकार और लेखिका जद्दन बाई का महज 57 साल की उम्र में 8 अप्रैल 1949 को निधन हो गया था.