जब नवाज शरीफ ने मांगा कश्मीर, भारत के PM चंद्रशेखर के इस जवाब से उड़ गए थे पाकिस्तान के होश
नई दिल्ली – यह वाकया साल 1990 के मालदीव में हुए सार्क सम्मेलन के दौरान हुआ था। भारत के तत्कालीन पीएम चंद्रशेखर सिंह की अगुवाई में होने वाले इस सम्मेलन में पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ भी शामिल थे। ये वो समय जगह था जब दोनों नेता अपने-अपने देश के पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। ये वो वक्त था जब कश्मीर में आतंकवाद और कश्मीरी पंडितो पर अत्याचार अपने चरम पर था। कश्मीर में आतंकवाद कितना हावी था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आंतकियों ने गृहमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरणकर लिया था। Chandrashekhar replies to navaz sharif.
सार्क सम्मेलन में मिले नवाज और चंद्रशेखर
राजीव गांधी के दुखद निधन के कारण चंद्रशेखर को चार महीनों के लिए देश का प्रधानमंत्री रहे। इसी बीच सार्क सम्मेलन में उनकी मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से हुई, जहां एक ऐसी घटना घटी जिसका जिक्र आज तक किया जाता है। चंद्रशेखर ने नवाज से हुई इस मुलाकात का जिक्र कई बार किया था। दरअसल, पाकिस्तान ने इस सम्मलेन में भी कश्मीर का राग अलापना शुरू किया। नवाज ने मंच से कहा कि कश्मीर पाकिस्तान के गले की नस है और कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है। नवाज ने तो यहां तक कह दिया कि जब तक कश्मीर को हिंदुस्तान से छीन नहीं लेंगे वो शांत नहीं होंगे।
नवाज ने कही कश्मीर देने की बात
पहली ही मुलाकात में नवाज चंद्रशेखर के प्रशंसक बन गए। पूरे सम्मेलन के दौरान वो चंद्रशेखर को ‘बड़े भाई’ कहकर संबोधित करते रहे। नवाज ने दोस्ताना अंदाज में चंद्रशेखर से कहा कि भारत-पाकिस्तान में स्थायी शांति और पाकिस्तान भारत के अच्छे संबंध के लिए आप हमें कश्मीर दे दिजिए। जैसा कि पाकिस्तान हमेशा से ही हर जगह कश्मीर का राग अलापता रहा है यहां भी उसने वही किया। लेकिन चंद्रशेखर के आगे नवाज और पाकिस्तान को मुंह कि खानी पड़ी।
चंद्रशेखर ने दिया नवाज को करारा जवाब
हालांकि, नवाज ने दोस्ताना अंदाज में ही चंद्रशेखर से भारत-पाकिस्तान में स्थायी शांति और पाकिस्तान भारत के अच्छे संबंधों के लिए कश्मीर देने कि बात कही थी। लेकिन, नवाज कि ये बात प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को नागवार गुजरी। उन्होंने शरीफ ने कहा कि चलिए ठीक है हम आपको कश्मीर दें देंगे। लेकिन शर्त यह है कि कश्मीर के साथ आपको भारत में रह रहे सभी 15 करोड़ मुसलमानों को भी पाकिस्तान ने रखना पड़ेगा। क्योंकि आपका मन उनके बिना भी तो नहीं लगेगा। इतना सुनते ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के होश ठिकाने आ गए। उनके मुंह से सिर्फ इतनी निकला की मेरे कहने का वो अर्थ नहीं था। चंद्रशेखर के जवाब के बाद पाकिस्तान कि ओर फिर कभी दोबारा किसी ने प्रत्यक्ष रुप से कश्मीर मांगने की हिम्मत नहीं दिखाई।