आजादी के मुबारक दिन ही हमें ‘शोले’ की सौगात मिली थी, जानिए फिल्म की अनकही बातें
आज से 42 साल पहले स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर ही फिल्म शोले रिलीज़ हुई थी… जो दोस्ती-दुश्मनी, प्यार-बदला, कॉमेडी-ट्रेजडी..सभी का बेजोङ मिशाल पेश करते हुए भारतीय सिनेमा के इतिहास में कालजयी हो गयी । 70 के दशक की वो फिल्म जिसके डॉयलाग लोगो के ज़बान पर रट गए, जिसने दोस्ती के मायने बताए, जिसने विलेन का खौफ पैदा किया और जिसने डीप ट्रेजडी के साथ कॉमेडी की जबरदस्त खुराक दी …ऐसी हजार बाते हैं इस फिल्म के बारे में कहने और सुनने के लिए पर आज हम आपको इस फिल्म से जुङी वो खास बातें और किस्से बताएंगे जो अब तक शायद आप नही जानते होगें।
ये हैं फिल्म शोले से जुङी वो अनकही बातें….
बॉक्स ऑफिस पर ठंडी शुरूआत
शोले जब रिलीज हुई, तब इसे बहुत ही ठंडा रेस्पोंस मिला था। इस पर फ़िल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी ने सलीम-जावेद से कहा कि इसका क्लाइमैक्स चेंज कर देते हैं और जय (अमिताभ बच्चन) को जिंदा रखते हैं, पर लेखक जोड़ी ने साफ़ मना कर दिया। फिर तो बिना किसी परिवर्तन के फ़िल्म ने जो इतिहास रचा, इसे पूरी दुनिया ने देखा।
प्यार ने ठाकूर को वीरू बनाया
फिल्म की कहानी जब धर्मेन्द्र ने सुनी तो उन्हें ठाकुर का रोल दमदार लगा क्योंकि कहानी ठाकुर और गब्बर के लड़ाई के बीच की है। उन्हें वीरू के रोल में ज्यादा दम नजर नहीं आया। रमेश सिप्पी को तरकीब सूझी। उन्होंने धर्मेन्द्र से कहा कि ठाकुर को तो फिल्म में रोमांस करने का मौका ही नहीं मिलेगा जबकि वीरू के हीरोइन हेमा मालिनी के साथ कई रोमांटिक सीन हैं। धर्मेन्द्र का दिल उस समय हेमा पर आया हुआ था। संजीव कुमार भी हेमा को पसंद करते थे। सिप्पी ने कहा कि वे वीरू का रोल संजीव कुमार को दे देंगे। तरकीब काम कर गई और धरम पाजी वीरू का किरदार निभाने के लिए राजी हो गए।
रिएल गब्बर की जानकारी अमजद खान को जया भादुड़ी के पिता से मिली
गब्बर नाम का डाकू सचमुच में चम्बल घाटी में हुआ करता था वह पुलिसवालों को पकड़ कर नाक कान काट कर छोड़ देता था… फिल्म का गब्बर उसी से प्रेरित था। उसके जीवन पर जया भादुड़ी के पिता ने ‘अभिशप्त चम्बल’ नामक किताब लिखी थी और उस कैरेक्टर को आत्मसात करने के लिए अमजद खान ने वो किताब पढ़ी।
गब्बर खुद डर रहा था
शूटिंग के दौरान अमजद खान बेहद नर्वस थे। पहले शॉट के लिए ही उन्हें 40 रिटेक देने पड़े। उनकी आवाज भी यूनिट वालों को पसंद नहीं आई। उन्हें बाहर करने पर भी विचार किया गया था।
चोर बाजार से खरीदी गयी थी गब्बर की वर्दी
गब्बर सिंह की खाकी वर्दी को मुंबई के चोर बाजार से खरीदा गया था और गब्बर को गंदे डाकू का लुक देने के लिए पूरी शूटिंग के दौरान वर्दी को एक भी बार नहीं धुला गया।
20 दिन में एक सीन
फिल्म में एक कमाल का सीन है जिसमें जया बच्चन लालटेन जला रही हैं और अमिताभ माउथ आर्गन बजा रहे हैं। बमुश्किल दो मिनट वाले इस सीन को फिल्माने में 20 दिन का समय लगा था।
सचिन को मेहनताने के तौर पर फ्रिज मिली थी
टेलीविजन और बङे पर्दे के जानेमाने अभिनेता सचिन ने इस फिल्म में रहीम चाचा के बेटे अहमद का रोल किया था जिसे गब्बर ने गांव वालों मे खौफ पैदा करने के लिए मार डाला था । कहा जाता है कि अभिनेता सचिन को इस फिल्म में अभिनय के मेहनताने के तौर पर बस एक फ्रिज मिला था।