जन्माष्टमी 2017: जानिये कैसे करें पूजा और कब से कब तक रहेगी अष्टमी तिथि
आज देश-विदेश में धूम-धाम से जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है. भगवान कृष्ण का जन्म आज के ही दिन हुआ था. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाया जाता है. इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था. यह अवतार भगवान ने अपने अत्याचारी मामा कंस को मारने के लिए लिया था. भगवान श्री कृष्ण की जन्म-भूमि मथुरा होने के कारण इस दिन पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. यहां ख़ास तौर पर रासलीला का आयोजन होता है. janmashtami pooja.
इस बार की अष्टमी तिथि 14 अगस्त शाम 7.45 से 15 अगस्त शाम 5.39 तक है. 15 अगस्त को 5.39 बजे रोहिणी नक्षत्र ख़त्म हो जाएगा. इसलिए जो भी लोग जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं 14 अगस्त के ही दिन रखें.
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है. इस दिन लोग “हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्णा, हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे” महामंत्र का जाप करते हैं. अगर इस दिन महामंत्र का जाप किया जाए तो अन्य दिनों की तुलना में बहुत फ़ायदा मिलता है. पुराणों की मानें तो इस मंत्र का जाप करने पर लोगों के जितने भी बिगड़े काम हैं, वह बन जाते हैं. इसके अलावा व्यक्ति का मन शुद्ध रहता है और वह आनंद का अनुभव करता है.
पूजा करने की विधि
सभी जानते हैं की भगवान का जन्म आधी रात को हुआ था. मध्यरात्रि में जन्म होने के कारण पूजा भी आधी रात के बाद यानि 12 बजे शुरू करनी चाहिए. सबसे पहले रात को 12 बजे एक प्लेट में खीरा लें. इस खीरे को बीच से काटें. खीरे को इस तरीके से काटें जैसे प्रसव के वक़्त बच्चे की नाल काटी जाती है. पूजा के बाद खीरे को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान करा दें और उसे प्रसाद के रूप में बाटें. पंचामृत से स्नान कराने के बाद उन्हें पीले रंग का वस्त्र पहनाएं. भगवान का श्रृंगार भी पीले रंग के आभूषणों से ही करें.
इन सब के पश्चात भगवान को झूले पर विराजमान कर दें. श्रद्धालु भगवान को धीरे-धीरे झूला झुलायें. आज के दिन झूला झुलाना शुभ माना जाता है. इसके बाद भगवान को झूले से उतारकर उनके सिंघासन पर बिठा दें. अब भगवान को मिश्री और माखन का भोग लगायें. यह ध्यान रहे की भगवान के पास मुरली यानि बांसुरी रखी हो. भगवान श्री कृष्ण को मुरली बेहद प्रिय थी.