ऑटो चलाया, हादसे में बेटे-बेटी की मौत, 18 केस में नाम…बागी एकनाथ शिंदे की अनकही दास्तान
उद्धव ने बनाना चाहा मुख्यमंत्री, लेकिन सत्ता को ठोकर मार कर हिन्दुत्व के साथ खड़े हैं शिंदे
इस वक्त महाराष्ट्र में ही नहीं पूरे देश में शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे सुर्खियों में हैं। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 55 में से 51 विधायकों के समर्थन का दावा कर शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे की नींद उड़ा दी है। महाराष्ट्र में अपनी सरकार बचाने चले उद्धव को अब अपनी पार्टी को अपने हाथ में बचाने का संघर्ष करना पड़ रहा है। शिवसेना के ठाकरे परिवार को इतनी बड़ी चुनौती शायद ही कभी मिली हो जैसी चुनौती एकनाथ शिंदे ने दी है। महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल पैदा करने वाले एकनाथ शिंदे के जीवन का सफर काफी रोचक है।
सातारा के रहने वाले हैं एकनाथ
58 साल के एकनाथ शिंदे मूल रूप से महाराष्ट्र के सातारा के रहने वाले हैं। एकनाथ उच्च शिक्षा के लिए सातारा से ठाणे आए थे। ठाणे में पढ़ाई के दौरान ही वो ऑटो रिक्शा चलाने लगे। एक दिन ऑटो में उनकी मुलाकत शिवसेना के नेता आनंद दिघे से हुई। 18 साल के एकनाथ आनंद दिघे से इतना प्रभावित हुए की उन्हें अपना गुरु मान लिया और उनकी प्रेरणा से शिवसेना ज्वाइन कर लिया।
पार्षद से मंत्री तक का सफर
एकनाथ शिंदे ने पहली बार 1997 में ठाणे नगर निगम चुनाव में अपना भाग्य आजमाया। भाग्य ने उनका साथ दिया और वो पार्षद चुने गए। 2001 में एकनाथ ठाणे नगर निगम में विपक्ष के नेता बने। जब वह ठाणे नगर निगम की राजनीति कर रहे थे उसी वक्त एक हादसे के दौरान उनके 11 साल के बेटे और 7 साल की बेटी की मौत हो गई। उनके दूसरे बेटे श्रीकांत उस वक्त 13 साल के थे जो इस समय शिवसेना से लोकसभा सांसद हैं।
शिवसेना में बढ़ता गया कद
एकनाथ शिंदे अपनी जुझारू प्रवृत्ति के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने शिवसेना में अपना कद धीरे-धीरे बढ़ाया है। 2005 में जब नारायण राणे शिवसेना से अलग हुए तो एकनाथ शिंदे ने ही उनकी जगह को शिवसेना में भरा था। राज ठाकरे के अलग पार्टी बना लेने के बाद तो एकनाथ शिंदे ठाकरे परिवार को काफी करीब आ गए। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के टिकट पर 2004 में पहली बार विधानसभा चुनाव ठाणे से लड़ा और जीत दर्ज की। 2009, 2014 और 2019 में भी उन्होंने इस जीत को बनाए रखा।
देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी-शिवसेना की गठबंधन सरकार में वो मंत्री बने। 2019 में जब महा विकास अघाड़ी गठबंधन बन रहा था तो एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनने की बात हो रही थी। आदित्य ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के नाम का प्रस्ताव किया था। लेकिन कांग्रेस और एनसीपी ने उद्धव को ही सीएम बनाने के लिए दबाव बनाया जिसके बाद वो मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए।
हलफनामें में 18 केस का जिक्र
उद्धव सरकार के इस बागी मंत्री के खिलाफ 18 आपराधिक केस भी चल रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने हलफनामें में इस बात का जिक्र किया था। एकनाथ शिंदे के पास 2.10 करोड़ की चल और 9.45 करोड़ की अचल संपत्ति भी है।