सबसे कम उम्र की सरपंच बनी हाइली क्वॉलिफाइड लक्षिका, एंकर और रेडियो जॉकी भी रह चुकी हैं
कुछ साल पहले समाज की सोच गांव से शहर की तरफ जाने, वहां काम करने और बसने की तरफ ज्यादा थी। हर शख्स शहर की तरफ भागने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब इसमें ज्यादा नहीं तो थोड़ा बदलाव दिखने लगा है। अब हाइली क्वॉलीफाइड और शहरी जिंदगी जीने वाले कुछ लोग गांव की तरफ रुख कर रहे हैं। आईटी सेक्टर और दूसरी तरह की बड़ी नौकरियों को छोड़कर लोग खेती और पशुपालन की तरफ आ रहे हैं।
इस कड़ी में एक नया नाम उज्जैन की लक्षिका डागर का भी जुड़ गया है। मॉस कम्यूनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट लक्षिका न्यूज एंकर और रेडियो जॉकी रह चुकी हैं लेकिन अब वो गांव में लोगों की प्रतिनिधि बन उनकी सेवा करेंगी। लक्षिका उज्जैन जिले की चिंतामन-जवासिया ग्राम पंचायत की सरपंच चुनी गईं हैं। वो 21 साल की सबसे कम उम्र में ही सरपंच बन गई हैं। 27 जून को 22 साल की होने वाली लक्षिका का ये बड़ा बर्थडे गिफ्ट है।
गांव में खुशी का माहौल
उच्च शिक्षा प्राप्त कम उम्र की युवा लक्षिका के सरपंच बनने से गांव में खुशी की लहर है। लोगों को लग रहा है कि अब गांव में एक आधुनिक सोच वाली सरपंच है जो गांव का उचित विकास करेगी। लक्षिका ने चुनाव में सहयोग करने के लिए गांव वालों का आभार जताया है औऱ पूरे गांव को अपना परिवार बताते हुए कहा उनकी सेवा ही अब उनका लक्ष्य है।
लक्षिका ने 8 उम्मीदवारों के बीच जीत दर्ज की
उज्जैन के चिंतामन-जवासिया गांव की जनसंख्या 3265 है। इस गांव के लिए सरपंच का पद अनुसूचित जाति की महिला प्रत्याशियों के लिए आरक्षित था। गांव की 8 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं। कड़ी टक्कर के बावजूद लक्षिका का पलड़ा भारी साबित हुआ और उन्होंने 487 वोट से जीत हासिल की।
गौरतलब है कि लक्षिका एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखती हैं और चाहती तो शहर में अपने को सेटल कर सकती थीं। लेकिन लक्षिका ने गांववालों की सेवा को अपना लक्ष्य बनाया और सरपंच के चुनाव में उतर गईं। आपको बता दें कि लक्षिका के पिता दिलीप डागर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक भरतपुरी में रीजनल अधिकारी के पद पर तैनात हैं। लक्षिका डागर के पास एमए मॉस कम्युनिकेशन एंड फैशन डिजाइनिंग की डिग्री है। उन्होंने उज्जैन में एंकर और रेडियो जॉकी का भी काम किया है।
लक्षिका ने सरपंच चुनाव से पहले खुद अपना घोषणा-पत्र बनाया और गांव की जनता के सामने इसे पूरा करने का पूरा रोड मैप भी बताया। इस घोषणा-पत्र से गांव के लोग काफी प्रभावित दिखे हैं। लोगों को लक्षिका से काफी उम्मीद है क्योंकि उन्हें लंबे वक्त के बाद एक हाइली क्वॉलिफाइड सरपंच मिला है।