मौलाना साहब ने जीता दिल, कहा – ‘फैसला हक में न हो तो भी राम जन्मभूमि की जमीन हिन्दुओं को दे दें’
लखनऊ – शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक ने राम जन्मभूमि विवाद पर ऐसा बयान दिया है, जिसपर बवाल होना तय माना जा रहा है। मौलाना कल्बे सादिक ने कहा है कि अगर बाबरी मस्जिद पर फैसला मुसलमानों के हक में न हो तो भी उन्हें फैसले को शांतिपूर्वक तरीके से स्वीकार करना चाहिए और अगर फैसला हक में हो तो भी विवादित जमीन को खुशी-खुशी हिंदुओं को दे देनी चाहिए। Maulana kalbe sadiq on babri masjid verdict.
जमीन खुशी-खुशी हिंदुओं को दे देनी चाहिए
रविवार को शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि अगर बाबरी मस्जिद पर कोर्ट का फैसला मुस्लिमों के हक में न हो तो भी उन्हें फैसले को शांतिपूर्वक तरीके से स्वीकार करना चाहिए और अगर फैसला हक में हो तो भी विवादित जमीन को खुशी-खुशी हिंदुओं को दे देनी चाहिए। कल्बे ने यही आगे कहा कि हमें जमीन जीतने के बजाय दिल जीतना चाहिए।
सादिक के इस बयान पर केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मौलाना साहब ने दिल जीत लिया। अयोध्या विवाद को लेकर मौलाना कल्बे सादिक के बयान पर हर्षवर्धन ने कहा है कि मौलाना कल्बे सादिक ने ये बयान देकर हमारा दिल जीत लिया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आगे कहा कि भगवान राम न हिंदूओं के हैं और न मुस्लमानों के, वह तो देश की आत्मा हैं।
क्या है राम जन्मभूमि विवाद
आपको बता दे कि अयोध्या में जमीन का यह विवाद उस वक्त शुरु हुआ जब अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए प्रयास शुरु किये गए। हिन्दू पक्ष ने यह दावा किया कि अयोध्या में विवादित जगह भगवान राम का जन्म स्थान है। जिसे बाबर के सेनापति मीर बाकी ने 1530 में गिरा कर वहां मस्ज़िद बनावाई थी। मस्ज़िद की जगह पर राम मंदिर के निर्माण को लेकर हिन्दू-मुस्लिम पक्षों में विवाद शुरु हुआ, जिसके बाद साल दिसंबर 1949 में मस्जिद के ही अंदर राम और सीता की मूर्तियां स्थापित कि गई।
इसके बाद मामला जनवरी 1950 में फैजाबाद कोर्ट पहुंचा। इसके खिलाफ साल 1961 में सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ बोर्ड ने याचिका दाखिल कर कोर्ट से मूर्तियों को हटाने की मांग की। धीरे-धीरे इस मामले में कई मोड़ आये लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। हालांकि, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने इस विवादित ज़मीन पर खुदाई के बाद ये माना कि बाबरी मस्जिद से पहले वहां पर एक भव्य हिन्दू मंदिर था।