प्रधानमंत्री मोदी के 8 साल: क्या नेहरू और इंदिरा गांधी से अधिक लोकप्रिय हैं नरेंद्र मोदी
देश के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने 8 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन पीएम मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ कभी गिरने नहीं पाया है। देश की बात हो अंतराष्ट्रीय जगत की बात पीएम मोदी की हर जगह चर्चा है। इन 8 सालों में नरेंद्र मोदी ने जिस तरह देश को नेतृत्व प्रदान किया है उसकी हर जगह तारीफ होती है। कई लोगों को लगता है कि प्रधानमंत्री के रूप में उनकी लोकप्रियता पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी ज्यादा है।
आपको बता दें कि पीएम मोदी के सत्तासीन होने के बाद देश में एक ही पार्टी का दबदबा है और उसका नाम है भारतीय जनता पार्टी। बीजेपी की सफलता का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि 1984 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को केवल 2 सीटें मिलीं थीं, वहीं 2019 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने अपने दम पर 303 सीटें हासिल कर लीं। इस चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन NDA ने 353 सीटें हासिल की थीं।
ये नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व का ही नतीजा था कि साल 2014 के चुनाव में भी बीजेपी ने 282 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था और एनडीए को 336 सीटें मिलीं थीं। 2014 से अब तक लगातार 2 बार पीएम रहते हुए नरेंद्र मोदी ने ये साबित कर दिया कि सही रणनीति के साथ अगर आगे बढ़ा जाए तो मुश्किल से मुश्किल काम को भी अंजाम दिया जा सकता है।
आपको बता दें कि, 1947 में जब देश अंग्रेजों से आजाद हुआ, तब कांग्रेस भी इसी तरह देश में छाई हुई थी, जिस तरह आज बीजेपी देश में छाई है। आजादी से लेकर साल 2014 तक हुए 16 आम चुनावों में से, कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत से जीत हासिल की है 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया है। इस बात से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस पहले काफी मजबूत स्थिति में रही है लेकिन आज उसकी हालत खराब है। उसके पास ना ही मजबूत नेतृत्व है और ना ही ऐसी रणनीति, जिससे वह केंद्र की बीजेपी सरकार को सही ढंग से घेर सके।
पीएम मोदी में ऐसी कई खूबियां हैं, जो उन्हें अपने समकालीन नेताओं और पूर्व के लोकप्रिय नेताओं से अलग बनाती हैं। सभी खूबियों का एक ही बार में वर्णन तो संभव नहीं है लेकिन यहां उनकी कुछ खूबियां बताई जा रही हैं।
पीएम मोदी एक बेहतरीन शो टॉपर हैं, या फिर यूं कहें कि इवेंट्स को कैसे सुपरहिट बनाना है, ये उन्हें आता है। इसमें सबसे ज्यादा मदद उनकी भाषण और संवाद करने की कला कर देती है। वह चाहें देश में हों या विदेश में, वह हिंदी में तो बात करते ही हैं, साथही इतने सामान्य तरीके से बात रखते हैं, जिससे आम आदमी उनसे जुड़ा हुआ महसूस करता है।
पीएम मोदी भाषण के दौरान अपनी सरकार के काम गिनाना नहीं भूलते और खास बात ये भी है कि वह घुमा-फिराकर अपने विरोधियों पर बिना नाम लिए निशाना भी साध लेते हैं और जनता इस बात को समझ जाती है।
पीएम मोदी संवाद के दौरान अपने जीवन के निजी अनुभव साझा करते हैं, जिससे आम आदमी उनसे जुड़ता है। वह अपने संघर्ष के दिनों की बात करते हैं तो एक चाय बेचने वाला आदमी भी उनकी बात को सुनता और समझता है। वह कांग्रेस शासन की उस रीति को भी तोड़ते हैं, जहां पूर्व पीएम कम बोलने के लिए मशहूर थे और पीएम मोदी लंबे भाषण देने के लिए जाने जाते हैं।
पीएम ने अपने कार्यकाल के दौरान कई विदेशी दौरे किए हैं और जिस शैली में वह विदेशी नेताओं के साथ गर्मजोशी से मिलते हैं, वह वैश्विक मीडिया में उनकी छवि को मजबूत बनाता है। विदेशों में हुए कई तरह के सर्वे में पीएम मोदी ने दुनिया के ताकतवर नेताओं की लिस्ट में जगह बनाई है।
हालही में अमेरिकी डेटा इंटेलिजेंस फर्म ‘द मॉर्निंग कंसल्ट’ ने एक सर्वे किया था, जिसमें मोदी 77% की रेटिंग के साथ दुनिया की पहली पसंद थे। बता दें कि ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ नियमित रूप से वैश्विक नेताओं की रेटिंग को ट्रैक करता है।
देश में जब पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी पीएम बने थे, उस समय जनता के बीच ये दोनों नेता भी बहुत लोकप्रिय थे। हालांकि वो डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का दौर नहीं था। इसलिए देश और विदेश के कोने-कोने में अपना नाम पहुंचा पाना इतना आसान भी नहीं था। फिर भी इन दोनों नेताओं ने अपने दौर में जनता को काफी प्रभावित किया।
एक तरफ इंदिरा गांधी अपने सख्त रवैये और फैसले लेने की क्षमता के लिए जानी जाती थीं, वहीं नेहरू देश के पहले पीएम होने के साथ-साथ उस दौर में लिए गए प्रभावी राजनीतिक फैसलों और अपने शानो-शौकत से जीने वाले जीवन के लिए मशहूर हुए थे।
गांधीजी के साथ इन दोनों नेताओं के मजबूत रिश्तों ने भी उन्हें लोकप्रिय बनाया। अगर गांधी का साथ नेहरू को नहीं मिलता तो वह देश के पहले पीएम नहीं होते। गांधी, नेहरू पर बहुत भरोसा करते थे और उन्हें काफी महत्व देते थे। वहीं इंदिरा गांधी, पंडित नेहरू की बेटी थीं और पंडित नेहरू आजाद भारत के पहले पीएम रहे थे। इसीलिए जनता ने इंदिरा को भी वही सम्मान दिया, जो वह नेहरू को देती थी।