कार छोड़कर 30 बैलगाड़ियों पर दुल्हन लाने पहुंच गया दूल्हा, लोगों ने वजह पूछी तो मिला ये जवाब
नये दौर में जब हर चीज बदल गई है तो शादी ब्याह करने का तरीका भी बदला है। लोग अपनी शादी में दुल्हन को विदा करवाने के लिए कार या फिर हेलिकॉप्टर ले जाते हैं। जितना बड़ा वाहन, उतनी बड़ी शान की बात समझी जाती है। अगर हम आपसे कहें कि क्या आपने इस जमाने में बैलगाड़ियों में बारात आते देखी है।
यकीनन आपमें से ज्यादातर का जवाब न में ही होगा। इस जमाने में भला कौन बैलगाड़ियों से बारात ले जाएगा। वैसे हम आपको बता दें कि ऐसा हुआ मध्य प्रदेश में जहां दूल्हेराजा कार-हेलिकॉप्टर छोड़कर बैलगाड़ियों में अपनी बारात लेकर पहुंच गए। लोगों को कौतूहल हुआ तो वो इसकी वजह पूछने लगे। जानें फिर दूल्हे ने क्या कहा।
अनोखी बारात की खूब हो रही है चर्चा
मध्य प्रदेश में निकली इस अनोखी बारात की खूब चर्चा हो रही है। यहां एक दूल्हा कार में नहीं बल्कि बैलगाड़ियों में ही अपनी बारात लेकर रवाना हो गया। मामला बैतूल जिले का है। यहां के आमला ब्लॉक के बघवाड गांव से ये अनोखी बारात निकली। यहां रहने वाले चैतराम कासदेकर की अनोखी बारात थी।
चैतराम आदिवासी समाज के युवक हैं। उनकी शादी नीतू नाम की लड़की से तय हुई थी। इसके बाद उन्होंने अपनी शादी में बारात ले जाने के लिए अनोखा फैसला कर लिया। चैतराम ने कार या हेलिकॉप्टर से नहीं बल्कि बैलगाड़ियों में दुल्हन नीतू को शादी करके ससुराल लाने का निर्णय किया। इससे लोग हैरान हो गए।
इस वजह से लिया अनोखा फैसला
चैतराम के इस फैसले से हर कोई हैरान था। फिर जब उनसे बैलगाड़ियों पर बारात ले जाने की वजह पूछी गई तो वो बोले कि वो अपने परिवार की पुरानी परंपरा को जीवित रखना चाहते हैं। वो बोले कि हमारे परिवार में पहले बारात बैलगाड़ियों में ही जाया करती थी। उन्होंने कहा कि वो शादी में अनावश्यक खर्च के खिलाफ हैं।
उनके फैसले का सभी ने मान रखा और विवाह के दिन सारे बाराती बैलगाड़ियों में सवार हो गए। एक दो नहीं पूरी 30 बैलगाड़ियों में बारात पूरी शान के साथ दुल्हन को लाने के लिए निकली। रास्ते भर इतनी बैलगाड़ियां लोगों के कौतूहल का विषय बनी रहीं। हर कोई अनोखी बारात का नजारा देखकर मुस्करा रहा था।
डीजे-बैंड की जगह बांसुरी और ढोलक
चैतराम ने अपनी बारात में शामिल होने वाली बैलगाड़ियों को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी। इन्होंने सबको परंपरागत ढंग से सजाया हुआ था। इतना ही नहीं पूरी बारात में डीजे या बैंड की कोई आवाज नहीं आ रही थी। इसके लिए भी दूल्हे राजा चैतराम और उसके परिवार ने पारंपरिक तरीका अपनाया हुआ था।
उन्होंने बारात में डीजे या बैंड की जगह संगीत के लिए मंजीरों, घंटियों, बांसुरी और ढोलक का विशेष इंतजाम किया हुआ था। इन वाद्ययंत्रों का मधुर संगीत बारातियों को खासा सुकून दे रहा था। जब ये अनोखी बारात दुल्हन के घर पहुंची तो घराती भी बैलगाड़ियों को देखकर मुस्करा उठे। बुजुर्गों को अपना पुराना जमाना याद आ गया। वहां पर बारात का खूब स्वागत हुआ।