सऊदी अरब में विदेशी युवती को भारत के बलराम से हो गया प्यार, हिन्दू रीति से शादी कर बन गई दुल्हन
कहते हैं जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं। बस किसी की हमसफर कहां मिलेगी, ये बात किसी को पता नहीं होती है। कभी घर के पास में ही जीवन साथी मिल जाता है तो कभी तलाश विदेश में जाकर पूरी होती है। भारत का बलराम भी नहीं जानता था कि उसकी किस्मत में हमसफर भारत में नहीं बल्कि विदेश में मिलना लिखा है।
इस बात से अनजान बलराम तो नौकरी की तलाश में सऊदी अरब गया हुआ था। वहां पर उसकी मुलाकात एक युवती से हुई। लड़की को बलराम इतना पसंद आ गया कि उससे मोहब्बत हो गई। इसके बाद उसने बलराम के साथ जीने-मरने की कसम खा ली। आइए जानते हैं इन दोनों की लव स्टोरी कैसे शुरू हुई।
काम की तलाश में गया था जॉर्डन
यूपी के कौशांबी में कड़ा धाम कोतवाली के फरीदगंज में रहने वाले लल्लू राम ठेकेदारी किया करते थे। 12 साल पहले उनका निधन हो गया तो उनका बेटा बलराम काम की तलाश करने लगा। इसी वजह से वो भारत छोड़कर सऊदी अरब के देश जॉर्डन चला गया। वहां पर वो कपड़े की कंपनी अटलांटा में नौकरी करने लगा।
यहीं पर उसकी मुलाकात हमसफर से हुई। इसी कपंनी में मधुशा नाम की लड़की भी नौकरी करती थी। वो श्रीलंका की निवासी थी लेकिन काम करने यहां आई थी। दोनों के बीच दोस्ती हो गई। मधुशा को बलराम इतना पसंद आ गया कि वो उससे मोहब्बत करने लग गई। वहीं बलराम भी उसको अपना दिल दे बैठा।
12 साल तक रहे लिव इन में
दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे थे। इसी वजह से दोनों ने साथ ही रहने का फैसला कर लिया। इसके बाद दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे। 12 साल तक दोनों साथ-साथ ही रहे। इसके बाद दोनों ने अपने रिश्ते को आधिकारिक नाम देने का फैसला किया। मधुशा ने उसको श्रीलंका चलने को कहा।
दोनों ही श्रीलंका चले गए। इसके बाद वहां पर मधुशा ने बलराम के साथ कोर्ट मैरिज कर ली। फिर वो दोनों कानून रूप से पति और पत्नी हो गए। भले ही बलराम ने शादी कर ली थी। फिर भी उसके परिवार की इच्छा था कि वो विदेशी बहू के साथ भारत में अपने गांव आकर भी पूरे समाज के सामने हिन्दू रीति-रिवाज से शादी करे।
दुल्हन को लेकर पहुंच गया गांव, देखने वालों की लगी लाइन
बलराम ने अपने परिवार की इस इच्छा के बारे में पत्नी मधुशा को बताया। उसकी पत्नी इस बात को सुनकर खुशी खुशी राजी हो गई। इसके बाद दोनों ने भारत आने का फैसला किया। 27 अप्रैल को मधुशा को भारत आने के लिए 3 महीने का वीजा मिल गया। गांव में पहुंचकर बलराम ने पहले ही शादी की तैयारियां शुरू कर दी थीं।
शनिवार को बलराम और मधुशा की धूमधाम से शादी हुई। हिन्दू रीति रिवाज से हुए विवाह में हर विधि पूरी की घई। सात फेरे लेने के बाद दोनों ने सात जन्म तक साथ निभाने की कसम भी खा ली। उनकी शादी को देखने के लिए गांव वालों की भीड़ लगी हुई थी। वहीं परिवार वाले विदेशी बहू को देखकर फूले नहीं समां रहे थे।