हाफीज सईद के नापाक मंसूबों पर सरकार ने फेर दिया पानी
मेरे प्रिय कश्मीरी भाइयों और बहनों,
आप सोच रहे होंगे क्या मैं एक देशभक्त हूँ?
जी हाँ मैं एक देशभक्त हूँ और देशविरोधी नारे सुनकर मुझे भी दुख होता है| पर आज ये पत्र मेरे या किसी भी देशभक्त के बारे में नही| यह पत्र है कश्मीर की जनता के लिए जो भारत से आज़ाद होना चाहती है, यह पत्र है उन युवाओं के लिए जिन्हे पाकिस्तान में विलय होने का रास्ता ही सही लगता है, यह पत्र है हर उस कश्मीरी के लिए जिसने शांतिपूर्ण वार्ता की जगह अपने ही देश की सेना पर पथराव का रास्ता चुना है और यह पत्र है हर उन सत्ता के ठेकेदारों के खिलाफ भी, जो कश्मीरी युवाओं को देश से अलग होने का पाठ पढ़ाते हैं|
- 26 अक्टूबर 1947 में कश्मीर के राजा हरी सिंह ने भारत का एक अभिन्न हिस्सा बनने का निर्णय लिया और जिस देश को आप अपना शुभचिंतक मानते हैं (पाकिस्तान) उसने कश्मीर पर हमला किया| इस हमले को रोकने की मुहिम भारतीय सेना ने ही चलाई और पूरे कश्मीर को हिंसा के हाथो चढ़ने से बचाया|
पर आपने पथराव किया!
- जहाँ पाकिस्तानी सेना और क़बायलियों ने बारामूला पहुँच कर हिंसा और बलात्कार किया वहीं भारतीय सेना ने बारामूला सहित पूरे कश्मीर को बचाया| इस लड़ाई में भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी, कई भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए|
पर आपने बुरहान वानी को “शहीद” का दर्जा दिया!
- जब गत वर्ष 2014 में कश्मीर में बाढ आई तब भारतीय सेना ने डूबते हुए कश्मीर को एक नयी साँस दी| भारतीय सेना द्वारा 237000 लोगों को बचाया गया, 224000 लीटर पीने का पानी, 31500 खाने के पैकेट, 375 टन खाना, 2.6 टन बिस्कुट, 7 टन बच्चो का खाना, 8200 कंबल और 650 टेंट कश्मीर की जनता को वितरित किए गये|
तब कश्मीर का शहीद बुरहान वानी और पाकिस्तान सरकार कहाँ थी?
आप सभी ने हर कदम पर भारत सरकार की जगह अलगाववाद फैलाने वाले हुर्रियत के नेताओं को अपना साथी माना पर क्या आपने जानने की कोशिश की, ये शुभचिंतक कौन है? कौन हैं ये हुर्रियत के चेहरे जिन्हे आप अपना नेता मानते हैं? क्या आपने कभी सोचा क्यूँ नही इन नेताओं के घर से कोई बुरहान वानी निकला?
सच तो यह है की इन अलगाववाद फैलाने वाले नेताओं का मकसद है इस विद्रोह को हवा देते रहना और इस विद्रोह की आग में अपनी रोटिया सेकना| इन नेताओ के दोहरे मापदंड भी चौका देने वाले है| जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट प्रमुख यासीन मलिक यूँ तो शांति और अहिंसा की राह पर चलने की बात करता है पर खुद पाकिस्तान जाकर 26/11 के मास्टरमाइंड हाफ़ीज़ सईद के साथ बैठता है, उसे “भाईजान” बुलाता है| कश्मीर का सबसे बड़ा अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी यूँ तो सभी युवाओं को कश्मीर को आज़ाद कराने की आग में झोकने को कहता है, पर खुद अपने बच्चो को पाकिस्तान, दिल्ली, जेद्दाह में पूरी सुविधाओं के साथ रखता है|
संशय की बात तो यह है की एक ही राज्य में जहाँ कश्मीर का एक लड़का आइ.ए.एस बन अपने देश की सेवा करता है वहीं दूसरी ओर कश्मीर का दूसरा बेटा हिंसा का रास्ता चुनता है| साथियों, अब समय है आपको समझने का कि कौन आपके साथ है और कौन आपके खिलाफ| कश्मीर ना ही एक मुस्लिम राज्य है और ना ही हिंदू|कश्मीर भारत का ताज है, वह भारत का ताज था, है और रहेगा और कश्मीर में रहने वाला हर एक व्यक्ति हमारे देश का देशवासी| सेना हिंसा का जवाब हिंसा और शांति का जवाब शांति से ही देगी| अब यह चुनाव आपका है, कि आप किस तरफ हैं|
जय हिन्द! जय कश्मीर!