चाणक्य नीति : ज्ञान और धन को छोड़ आचार्य ने न दिखने वाली इस चीज को कहा सबसे शक्तिशाली
सदियों पहले इस धरा पर जन्म लेने वाले महान अर्थशाष्त्री और विद्वान आचार्य चाणक्य की हर एक बात मानव जीवन में बहुत काम आती है. सदियों पहले कही गई और बताई गई उनकी बातें आज भी काफी प्रासंगिक है. आज के समय में आचार्य चाणक्य की बातों और उनके कथनों का बहुत महत्व है.
आचार्य चाणक्य ने जो भी कहा है वो काफी अहम और महत्वपूर्ण है. आज के समय के हिसाब से चाहे आपको आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार थोड़े असहज कर दे लेकिन जब आप इनकी गहराइयों में उतरेंगे तो ये आपको सब कुछ स्पष्ट कर देंगे. उनके कथन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे. ऐसे में आज हम आपके साथ आचार्य चाणक्य द्वारा कही गई एक ख़ास बात के बारे में चर्चा कर रहे हैं. आचार्य चाणक्य ने बताया है कि वह कौन सी चीज है जो सबसे ज्यादा शक्तिशाली है. इसके बारे में आईए विस्तार से चर्चा करते हैं.
आचार्य का एक श्लोक है कि…
कालः पचति भूतानि कालः संहरते प्रजाः।
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः॥
इस श्लोक का हिंदी में अनुवाद करते है. इस श्लोक का अर्थ है कि काल एक ऐसी चीज है जो प्राणियों को निगल जाता है और सृष्टि का विनाश कर देता है. यह प्राणियों के सो जाने पर भी उनमें मौजूद रहता है. ये इतना शक्तिशाली है कि कोई भी इसका सामना नहीं कर सकता है. मतलब कि संसार में एक चीज है जो सबसे ज्यादा ताकतवर है और वो चीज है काल यानी कि समय.
अक्सर ही लोग ज्ञान, धन या शक्ति को अधिक महत्व देते हुए नजर आते है. लोगों को लगता है कि ये तीनों चीजें सबसे ज्यादा अहम और ताकतवर है हालांकि समय के आगे किसी की नहीं चलती है. काल या समय के आगे हर चीज फीकी पड़ जाती है.
समय को लेकर काफी कुछ कहा गया है. काफी कुछ लिखा गया है. समय और काल को लेकर आचार्य चाणक्य ने भी अपने विचार रखे थे. उन्होंने समय को सबसे बलवान और सबसे ताकतवर कहा था जो कि बिलकुल सत्य भी है.
समय के आगे सृष्टि की भी नहीं चलती है. चाहे लोग किसी भी चीज को सबसे ताकतवर और बलवान मानते हो हालांकि सत्य आपके सामने है. समय से बढ़कर, समय से ऊपर कुछ भी नहीं. समय को झुकाने की सामर्थता किसी में भी नहीं है. बल्कि समय में इतनी ताकत है कि उसके आगे हर कोई नतमस्तक हो जाता है.