क्यों धारण करते हैं भगवान शिव शेर की खाल, आईये जानते हैं राज़..
हिंदू धर्म सभी धर्मों में सबसे पुराना माना जाता है. हिंदू धर्म में अनेकों देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है और हर देवी-देवता की अपनी एक अलग मान्यता होती है. पर आज भी ऐसे कई लोग मिल ही जायेंगे जिन्हें अब भी इनके बारे में ज़्यादा पता नहीं होता.
आज हम बात करने जा रहे हैं भगवान शिव की. भगवान शिव को संहार का देवता भी कहा जाता है. इसी तरीके से भगवान शिव के कुल 12 नाम प्रख्यात हैं. पूरे भारत में शिव भगवान के भक्तों की संख्या सबसे अधिक है. शिव भगवान अपने अनोखे रूप की वजह से सबसे अलग भी दिखते हैं. महिला से लेकर पुरुष सभी उनकी भक्ति में लीन रहते हैं.
भगवान शिव का रूप सबसे अलग है :
अगर देखा जाए तो भगवान शिव का रूप सबसे हटके है. भगवान की सौम्य आकृति और रुद्र रूप दोनों ही विख्यात हैं. पौराणिक कथाओं में हमें भगवान के जिस रूप का वर्णन मिलता है, वह है- एक हाथ में डमरू, दूसरे में त्रिशूल, गले में लिपटा हुआ सांप, शारीर पर भस्म और बदन पर शेर के खाल वाले कपडे.
पर आप क्या जानते हैं की भगवान की इस वेश-भूषा के पीछे एक रहस्य छुपा है. क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है कि आखिर क्यों भगवान शिव शेर की खाल को पहना करते हैं? इसके पीछे जुड़ी है एक कहानी, जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं. तो आईये हम आपको बताते हैं..
क्या है भगवान शिव के शेर के खाल वाला वस्त्र धारण करने का राज़:
शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव एक बार ब्रह्माण्ड का भ्रमण करते हुए किसी जंगल में पहुंच गए. उस जंगल में ऋषि-मुनि अपने परिवार के साथ रहा करते थे. भगवान शिव इस जंगल से निर्वस्त्र गुज़र रहे थे. उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि उन्होंने वस्त्र धारण नहीं किये हैं.
ऋषि-मुनि की पत्नियां शिवजी के सुडौल और सुन्दर शारीर को देख कर आकर्षित होने लगीं. अपने सारे काम-धाम को छोड़ वह शिवजी को निहारने लगीं. जब ऋषियों ने देखा की उनकी पत्नियां अपने मार्ग से भटक रही हैं तो वे बहुत गुस्से में आ गए. तब तक उन्हें पता नहीं था की ये साधारण सा दिखने वाला मनुष्य भगवान हैं.
क्यों क्रोधित हुए सभी ऋषि-मुनि:
उसके बाद सभी ऋषि-मुनियों ने मिलकर भगवान को सबक सिखाने की सोची. उन सब ने मिलकर शिवजी के मार्ग में एक बड़ा गड्ढा बना दिया. वहां से गुज़रते ही शिवजी गड्ढे में गिर गए. जैसे ही ऋषि-मुनियों को लगा की उन्होंने शिवजी को अपने जाल में फंसा लिया है, तो गड्ढे में उन्होंने एक शेर को छोड़ दिया, ताकि शेर उन्हें खा जाए.
पर उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिसे देख कर सभी ऋषि-मुनि अचंभित रह गए. उन सब ने देखा की शिवजी ने उस शेर को मार उसकी खाल धारण कर ली है. तब जाकर उन्हें एहसास हुआ की जिसे वो साधारण मनुष्य समझ रहे थे, असल में वो भगवान हैं.