गुजरात की जंग में कांग्रेस के बाजीगर ने मारी बाजी, अहमद 5वीं बार पहुँचे राज्यसभा
गुजरात के हाईवोल्टेज ड्रामे के क्लाइमेक्स ने आखिरकार सबकों चौका ही दिया है… और हारी बाजी जीत कर अहमद पटेल क्रांगेस के रियल हिरो बन चुके है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के चाणक्य अहमद पटेल ने इस लङाई में बीजेपी के चाणक्य अमितशाह को खुली चुनौती दी थी… और फिर दो चाणक्यों की ये जंग दोनों दलों के लिए शक्तिपरिक्षण का विषय बन गयी। इस जगं में राजनीतिक कुटनीतिज्ञों नें अपने हर दावं चले लेकिन अंत में अहमद पटेल ने बीजेपी के मुंह से जीत का निवाला छीन कर लगातार हार की कङावट चख रही कांग्रेस का मुंह मीठा कर दिया। Gujrat Rajysabh Election/ Ahmed Patel wins the seat
बीते दो सप्ताह में ये हाई वोल्टेजड्रामा कुछ यूँ चला :
गुजरात राज्यसभा चुनाव, नतिजों तक पहुँचते पहुँचते फुल हाईवोल्टेज वाला ड्रामा बन गया । सबसे पहले कांगेस के दिग्गज नेता शंकर सिह वाघेला के अलगाव ने गुजरात की राजनीतिक हलचलों की तरफ लोगों का ध्यान खींचा फिर दूसरे बागी नेताओं के इस्तीफें ने इसमें रोमान्च का तङका लगाया दिया और इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने बचे विधायकों को बेंगलुर भेज कर इस ड्रामें में इन्ट्रवल का सस्पेंस क्रिएट कर दिया । सबकी निगाहें इसके क्लाईमेक्स पर अटक गई पर वहां तक पहुँचने से पहले इस ड्रामे ने और भी दिलचस्प मोङ लिए … कांग्रेसी विधायकों के क्रॉस वोटिगं का खुलासा फिर दोनों पार्टियों की चुनाव आयोग से गुहार …ये सब कुछ किसी फिल्मी ड्रामें के हाईवोल्टेज रोमान्च से कम नही था और आखिर में क्लाईमेक्स में हारी बाजी जीतकर अहमद पटेल हीरों बन बैठें।
हालांकि इस घमासान में अहमद पटेल ने आखिरी दौर में बाजी मारी है लेकिन कांग्रेस के इस कद्दावर नेता की साख भारतीय राजनिति में 40 साल से बनी हुई है । एक नजर डालते हैं उनके पूरे राजनीतिक कैरियर पर….
26 साल की उम्र मे राजनीति के गलियारें में एंट्री की और छा गए :
अहमद पटेल ने 1977 में 26 साल की उम्र में पहली बार लोकसभा चुनाव लङा और 60 हजार से ज्यादा वोटो से जीतकर उस दौर में सबसे युवा सांसद बनकर दिल्ली पहुँचे। इससे भी खास बात ये थी कि उस समय आपातकाल की वजह से पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था.. ऐसी विपरित परिस्थितयों में अहमद की उस बङी जीत ने उन्हें पार्टी हाई कमान के करीब ला दिया और वो गुजरात के यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन गए। इसके बाद से अहमद, गांधी परिवार के खास बन गए और इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी को उनके काम करने का तरिका बेहद पसंद था और आज सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार के रूप में भी वों विश्वासपात्र बने हुए । 1993 में अहमद पहली बार राज्यसभा पहुँचे थे जिसके बाद से उन्होनें सोनिया गांधी को भारतीय राजनीति में स्थापित करने में पर्दे के पीछे से बङी भूमिका निभाई। सोनिया गांधी के हर छोटे बङे फैसले में अहमद की कुटनीति शामिल रहती है और अब जबकि लगातार मिली हार से पार्टी हताशा की गर्त में जा चुकी थी, अहमद पटेल की इस जीत नें एक बार उन्हे पार्टी का खेवनहार बना दिया है।