चौंका देने वाली खबर !! पढ़ें कैसे पानी ने ही बना डाला एक शहर को बंधक …
कुदरत का कहर कितना खौफनाक होता है इस बात से तो हम सभी अच्छी तरह से वाकिफ हैं , परंतु क्या आपने कभी सोचा है की पानी जो जीवन के लिए इतना महत्वपूर्ण है वो एक शहर को बंधक बना सकता है? सिर्फ जल की वजह से किसी शहर में धारा 144 लगाई जा सकती है, क्या? आपको ये रोचक खबर अवश्य पढ़नी चाहिए जिससे एक शहर के लोगों का जीने बेहाल हो गया ।
अगर आप इसे कल्पना या सपना समझ रहे हैं तो फिर पानी की कुछ छीटें अपने चेहरे पर डाल लीजिए क्योकि चांद पर दुनिया बसाने की तैयारी करने वाले भारत के एक शहर को पानी ने बंधक बना लिया है। महाराष्ट्र के लातूर शहर में पानी ने त्राहिमाम मचा रखा है। शहर में पिछले दो महीने से सरकारी नल सूखे पड़े हैं। लोग पानी के लिए पूरी तरह से या तो बोरवेल या फिर टैंकर पर निर्भर हैं लेकिन हालात ये है कि लातूर के 50 फीसदी बोरवेल बेकार हो चुके हैं और जो बाकी है उनका जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। शहर में पानी की एक एक बूंद को लेकर लड़ाई है। दोपहर के दो बजे हो या फिर रात के दो..हर जगह जहां पानी मिलने की उम्मीद है लोग बर्तन लेकर लंबी-लंबी लाइनों में खड़े नज़र आते हैं। पानी ने शहर के करोड़पति और मजदूरी करने वाले तबके को एक बराबर ला खड़ा किया है। दोनों पानी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। आलम ये है कि पानी की चोरी के डर से लोग टंकियों में ताले लगाने को मजबूर हैं। पानी ने शहर की अर्थ व्यवस्था को चौपट होने की कगार पर ला खड़ा किया है।
तेल और दाल के मामले में लातूर का पूरे देश में नाम है लेकिन पानी की लगातार होती कमी नें तेल फैक्ट्रियों पर ताले लगा दिए। लातूर की तुअर यानि अरहर की दाल पूरे देश में मशहूर है लेकिन पानी ने इस दाल का स्वाद भी खराब कर दिया है। अगर अगले दो महीने बारिश नही हुई तो दाल की कीमतें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। साल 2000 से 2010 तक लातूर शहर ने बहुत तेजी से तरक्की की। दस साल में शहर में उघोग घंघे औऱ खासकर रियल स्टेट मार्केट ने खूब तरक्की की लेकिन पिछले डेढ़ साल से आलम ये है कि लातूर में कंस्ट्रक्शन का काम पूरी तरह से बंद है। पांच साल पहले लातूर में मकान की कीमत दिल्ली एनसीआर में मकान खरीदने जितनी पहुंच गई थी लेकिन आज अधूरे और खाली पड़े मकानों के खरीददार नहीं हैं। लातूर में क़रीब 150 छोटे और बड़े अस्पताल हैं जहां पानी की भारी किल्लत है। पानी की कमी होने की वजह से लातूर के अस्पतालों में इलाज के लिए जाने वाले मरीज़ों की संख्या में 50 फीसदी की कमी आई है।