IAS ने शेयर की खास तस्वीर, पूछा बचपन की यादों से जुड़ा सवाल, क्या आप दे पाएंगे जवाब?
बचपन की यादें और पुराने दिन हमेशा गोल्डन मेमोरिज की तरह होते हैं। उन दिनों की बात ही कुछ और होती थी। आज जब हम उन दिनों को याद करते हैं तो मन बड़ा खुश हो जाता है। बचपन से जुड़ी ऐसी ही एक याद IAS अधिकारी अवनीश शरण ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर साझा की है। उन्होंने एक तस्वीर शेयर की जिसे देख लोग बचपन के दिनों में खो गए।
इस तस्वीर ने ताजा की बचपन की यादें
इस तस्वीर में कुछ बच्चे घर की छत पर बिस्तर लगा सोते हुए दिखाई दे रहे हैं। पुराने दिनों में कई लोग अक्सर गर्मी से बचने के लिए छत पर सो जाया करते थे। तब देश में बिजली की बहुत दिक्कत होती थी। इसलिए लोग खुले आसमान के नीचे नेचुरल हवा के मजे लेते थे। हालांकि अब तो पंखे, एसी, कूलर जैसी चीजों के आने के बाद छत पर सोना बहुत कम हो गया है।
Who else slept on the terrace of the house during Summer in their Childhood ? pic.twitter.com/HuFsVDyiho
— Awanish Sharan (@AwanishSharan) April 22, 2022
IAS अधिकारी अवनीश शरण ने इस तस्वीर को साझा करते हुए कैप्शन में लोगों से पूछा “बचपन में गर्मी के दिनों में कौन-कौन इस तरह छत पर सोया है?” इस सवाल के जवाब देते हुए लोग भावुक हो गए। उन्हें अपने बचपन के सुहाने दिन याद आ गए। उन्होंने कमेन्ट में कई दिलचस्प जवाबों की झड़ी लगा दी। तो चलिए देखते हैं कि लोगों ने क्या-क्या कहा?
लोगों ने दिए मजेदार जवाब
1. हां सोते तो थे, लेकिन मच्छर बहुत थे।
2. अभी भी देश के कुछ हिस्सों में लोग ऐसे ही सोते हैं। खासकर गाँव में बिजली की समस्या रहती है।
3. छत पर सोने से पहले वो पानी छिड़कना, देर रात भूत-प्रेत के किस्से सुनना, सामने खड़े पेड़ के पत्तों को हिलते देखकर डरना और फिर अगली सुबह मुंह पर सूरज का आग उगलना, नहीं भूलूंगा मैं जब तक है जान।
4. वो सोने से पहले घंटो तकियों से लड़ना, देर रात तक लेट कर अंताक्षरी खेलना, हमेशा किनारे से डरकर बीच मे आकर लेटना, कभी रात में बारिश हो तो आधी नींद भागना, याद है मुझे…
5. आधी रात की बारिश के बीच सब तेजी से जो कट लेते थे और अंत में बचे शख्स पर गद्दे और तकिया लाने की जिम्मेदारी होती थी।
6. मैं तो आज भी रोज छत पर ही सोता हूँ। छत पर सोने का मजा ही कुछ और है। ये मजा एसी और कूलर में सोने वाले लोग क्या जानेंगे?
7. अब तो कई महीने गुजर जाते हैं। छत पर जाना ही नहीं होता है। वह दिन ही कुछ और थे। अब तो शायद ही कुछ बच्चे होंगे जो छत पर जाकर सोते हैं। बहुत सो तो पता भी नहीं होगा ऐसा भी होता है। वे कमरे में टीवी देखते-देखते ही सोते हैं।