एक थप्पड़ ने बदल दी थी ललिता पवार की जिन्दगी, जानें क्यों बनवाना पड़ा था जाति प्रमाण पत्र?
आपने रामायण में एक किरदार जरूर देखा होगा। वो किरदार मंथरा का था जो रानी को भड़काया करती थी। इस रोल को अभिनेत्री ललिता पवार ने निभाया था। उनकी एक्टिंग की लोग तारीफ किया करते थे। निगेटिव रोल में ललिता पवार जैसा सशक्त अभिनय करने वाली कम ही अदाकाराएं अब तक सामने आई हैं।
मंथरा के नाम से घर-घर में मशहूर ललिता पवार की 18 अप्रैल को जयंती है। कम ही लोगों को पता होगा कि एक थप्पड़ की वजह से उनका चेहरा खराब हो गया था। इसके बाद उनकी जिन्दगी ही बदल गई थी। वहीं उनको अपना जाति प्रमाण पत्र भी बनवाना पड़ा था। आइए ललिता पवार से जुड़ी दिलचस्प बातें जानते हैं।
मंदिर के बाहर हुआ था ललिता का जन्म
बॉलीवुड की बेरहम सास की बात हो और ललिता पवार का नाम सामने न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता है। अपने जमाने की मशहूर अदाकारा ललिता पवार का जन्म 18 अप्रैल 1916 को हुआ था। उनके जन्म का किस्सा भी बड़ा फेमस है। वो मंदिर के गेट पर जन्मी थीं। इसी वजह से उनकी नाम अंबिका रखा गया था।
ललिता की मां गर्भवती थीं और माता अनुसूया के मंदिर गई थीं। जब वो गेट पर पहुंचीं तो उसको प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। इसके बाद लोगों की मदद से उन्होंने मंदिर के गेट पर ही बेटी को जन्म दिया। पहले उनका नाम अंबिका था लेकिन बाद में इसे बदलकर ललिता पवार रख दिया गया था जो नाम फिल्मी दुनिया में फेमस हो गया।
गिनीज बुक में दर्ज है ललिता का नाम
कम ही लोगों को पता होगा कि ललिता पवार का नाम गिनीज बुक में दर्ज है। जी हां उन्होंने 70 साल तक अभिनय किया जिस कारण ये एक रिकॉर्ड बन गया। वैसे ललिता ने करीब 700 फिल्मों में अदाकारी की। इनमें हिन्दी ही नहीं गुजराती और मराठी भी शामिल हैं। इंदौर में जन्मी इस अदाकारा के एक्टिंग में आने का किस्सा भी दिलचस्प है।
जब ललिता छोटी थीं तब अपने पिता के साथ शूटिंग देखने पुणे आई हुई थीं। यहां पर फिल्म के निर्देशक नाना साहेब ने उनको देखा तो फौरन ही अपनी फिल्म में रोल ऑफर कर दिया। हालांकि उस दौर में लड़कियों का फिल्म में काम करना अच्छा नहीं माना जाता था। फिर भी नाना साहेब ने समझाया तो उनके पिता भी राजी हो गए थे।
जानें थप्पड़ और जाति प्रमाण पत्र का किस्सा
1942 में फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ की शूटिंग में वो हादसा हुआ था। इस फिल्म में एक्टर भगवान दादा को ललिता पवार को थप्पड़ मारना था। भगवान दादा ने जोर से थप्पड़ मार दिया जिससे ललिता के कान से खून टपकने लगा। वो बाद में ठीक तो हो गईं लेकिन उनके चेहरे के एक हिस्से को हमेशा के लिए लकवा मार गया।
वहीं उनको जाति प्रमाण पत्र अपनी बेहतरीन अदाकारी की वजह से बनवाना पड़ा था। असल में 1941 में फिल्म अमृत में उन्होंने मोची का किरदार निभाया था। इस फिल्म के बाद लोग उनसे छुआछूत का व्यवहार करने लगे। इससे बचने के लिए उनको जाति प्रमाण पत्र बनवाकर अपनी जाति दिखानी पड़ी थी। तब लोगों ने व्यवहार सही किया था।