सुबह-सुबह उठते ही गाने लगे रामायण की चौपाई, सपाई शिवपाल यादव पर भी चढ़ने लगा भगवा रंग
उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर करवट लेने जा रही है। यूपी में भाजपा की जीत के बाद कई सियासी समीकरण बदलने जा रहे हैं। बीजेपी के साथ आने के लिए अब छोटे दलों की होड़ सी मची हुई है। कुछ दिन पहले ही खबरें आई थीं कि ओपी राजभर सीधे अमित शाह से मिलने पहुंचे थे। अब एक और बड़े नेता की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
कभी मुलायम सिंह की पार्टी में नंबर 2 की पोजिशन में रहे शिवपाल यादव अब पार्टी से अलग हैं। उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई है। हालांकि उनके ऊपर भी अब भगवा रगं चढ़ता जा रहा है। इसका सबूत उनकी दिनचर्या में बदलाव है। वो सुबह उठते ही रामायण की चौपाई गाने लग गए हैं।
बीजेपी के जीतते ही बदले समीकरण
यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कई दलों को अपने साथ मिला लिया था। सभी दल मिलकर यूपी से भाजपा को उखाड़ फेंकना चाहते थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस बार अपने चाचा शिवपाल यादव को भी मनाने में कामयाब हो गए थे। उनके चाचा ने भी प्रसपा को सपा के साथ गठबंधन में शामिल कर लिया था।
सबको सपा की जीत की उम्मीद थी। हालांकि 10 मार्च को सभी दलों की उम्मीद टूट गई और बीजेपी फिर से बहुमत पाकर सत्ता में आ गई। इसी के बाद सियासी समीकरण भी बिगड़ने शुरू हो गए। शिवपाल यादव को अखिलेश ने भाव देने बंद कर दिए। इसके बाद से शिवपाल भी उनसे नाराज हो गए हैं।
राम के सहारे बीजेपी में जाने के संकेत
शिवपाल यादव के अब भाजपा में जाने के संकेत मिल रहे हैं। वो सीएम योगी से मुलाकात भी कर चुके हैं। हालांकि अब तक इस बारे में उन्होंने औपचारिक ऐलान नहीं किया है। फिर भी उनकी बदली दिनचर्या ने उनके भगवा रंग में चढ़ने के संकेत दे दिए हैं। हाल में ही में उनका एक ट्विट भी काफी चर्चा में आ रहा है।
शिवपाल सिंह यादव ने सोमवार सुबह रामायण की चौपाई के साथ दिन की शुरुआत की। उन्होंने ट्विट किया ”प्रातकाल उठि कै रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा॥ आयसु मागि करहिं पुर काजा। देखि चरित हरषइ मन राजा॥ भगवान राम का चरित्र ‘परिवार, संस्कार और राष्ट्र’ निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला है।
मोदी और योगी को कर चुके हैं फॉलो
शिवपाल यादव ने इससे पहले भी सियासी संकेत दे दिया था। उन्होंने ट्विटर पर सीएम योगी और पीएम मोदी को फॉलो कर लिया था। इस कदम की भी खूब चर्चा हुई थी। अब खबर आ रही है कि बीजेपी उनको पार्टी में शामिल कर डिप्टी स्पीकर का पद दे सकती है। यानि सदन में चाचा-भतीजे का सीधा सामना होगा।
शिवपाल यादव को अखिलेश ने विधायकों की बैठक में नहीं बुलाया था। वो दो दिन तक बुलावे का इंतजार करते रहे। इसी के बाद से शिवपाल और अखिलेश में दरार पैदा हो गई है। अपनी नाराजगी को इटावा में शिवपाल ने खुलकर जाहिर भी कर दिया था। वहीं अखिलेश का कहना था कि उनका गठबंधन दलों की बैठक में बुलाया जाएगा।