रात में तपस्या…दिन में 10वीं की परीक्षा, छात्रों के बीच आकर्षण का केन्द्र बने हरियाणा के संत
पढ़ा-लिखा तो सबको होना चाहिए। पढ़ने से ही हमारा जीवन सफल माना जाता है। हमें सभ्य समाज में जीने का तरीका आता है। किस उम्र में पढ़ाई करनी चाहिए, ये सीमा अब तक तय नहीं है। जिस भी उम्र में आपका पढ़ने का जज्बा कायम हो जाए, आप कमल और किताब उठा सकते हैं।
हरियाणा के एक संत ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा किया है। यह संत छात्रों के बीच कौतूहल का केन्द्र बन गए हैं। उन्होंने पढ़ाई करने का संकल्प लिया और कलम और किताब उठा ली। इसके बाद बोर्ड की परीक्षा में भी बैठ गए। वो अभी 10वीं की बोर्ड परीक्षा दे रहे हैं। आइए जानें कि आखिर इस उम्र में उनको पढ़ने का मन कैसे किया।
भिवानी के हैं बाबा
पढ़ाई लिखाई की कोई उम्र नहीं होती है। ये वाक्य आपने जरूर सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि हरियाणा में ये कहावत चरितार्थ भी हो रही है। यहां एक संत ने ऐसी मिसाल पेश की है जो सबके लिए प्रेरणा बन गई है। संत ने तपस्या करने के साथ ही किताब और कलम भी उठा लिया है। वो अब परीक्षा दे रहे हैं।
हरियाणा के जिन बाबा की हम बात कर रहे हैं वो भिवानी जिले के हैं। संत सुरेन्द्र सिंह को दोबारा पढ़ने की ललक हो गई। वो रात में तपस्या ध्यान करते हैं तो दिन में परीक्षा देते हैं। उन्होंने 10वीं पास करने का मन बना लिया है। इसी वजह से वो इस बार हरियाणा बोर्ड की परीक्षा में शामिल हुए हैं।
खड़े-खड़े देते हैं परीक्षा
सबसे हैरानी की बात है कि बाबा पूरी परीक्षा के दौरान बैठते ही नहीं हैं। वो खड़े-खड़े ही परीक्षा देते रहते हैं। इसी वजह से छात्रों के बीच वो कौतूहल का केन्द्र बन गए हैं। संत ओपन स्कूल से 10वीं की परीक्षा दे रहे हैं। उनक केन्द्र पंडित शीताराम गर्ल सीनियर सेकंडरी स्कूल में है। यहां बाबा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं।
एक संत को तपस्या की जगह हाथों में किताब पकड़े देखना लोगों के बीच चर्चा का विषय जरूर बन गया है। छात्रा भी इस उम्र में संत को पढ़ाई करते देख काफी उत्साहित नजर आते हैं। बाबा गेरुए वस्त्र पहनकर ही परीक्षा केन्द्र में आते हैं। छात्रों से अलग वो एक टेबल के सहारे खड़े रहते हैं और परीक्षा देते हैं।
जानें क्यों करने लगे दोबारा पढ़ाई
अब हम आपको बताते हैं कि आखिर बाबा दोबारा पढ़ाई क्यों करने लगे। असल में बाबा को एक टीवी इंटरव्यू में पूछा सवाल इतना खल गया था कि उन्होंने दोबारा कलम उठा लिया। इंटरव्यू में जब उनसे पढ़ाई को लेकर सवाल किया गया था तो वो बात उनको खटक गई थी। तबसे संत ने पढ़ाई पूरा करने की ठान ली थी।
संत का कहना है कि वो मेरिट पाने के लिए पढ़ाई कर रहे हैं और भिवानी नगर की खुशहाली के लिए तपस्या करते हैं। उन्होंने शहर की खुशहाली के लिए 41 दिनों तक खड़े होकर तपस्या करने का संकल्प लिया है। उनका कहना है कि आध्यात्मिक के साथ स्कूली शिक्षा भी जरूर है। वो चाहते हैं कि बच्चे उनको देखकर शिक्षा का महत्व समझें।